सीएम भजनलाल के प्रयासों से सर्विस टैक्स के 6315 करोड़ के प्रकरण में पेट्रोलियम विभाग को बड़ी राहत

सीएम भजनलाल के प्रयासों से सर्विस टैक्स के 6315 करोड़ के प्रकरण में पेट्रोलियम विभाग को बड़ी राहत

जयपुर। कस्टम एक्साईज एवं सेवाकर अपील अधिकरण, नई दिल्ली ने राज्य के पेट्रोलियम विभाग को सर्विस टैक्स के 6315 करोड़ के प्रकरण में राहत प्रदान करते हुए  सी.जी.एस.टी.जोधपुर के पूर्व फैसले को अस्वीकृत कर दिया है। प्रमुख सचिव माइन्स एवं पेट्रोलियम टी. रविकान्त ने बताया कि पेट्रोलियम विभाग ने प्रभावी रूप से पैरवी करते हुए सीबीईसी के स्पष्टीकरण सेवा का कराधानः एक शिक्षा मार्गदर्शिका 20.06.2012 के खनन अधिकार “सहायक सेवाऐं“ नहीं है और 31.03.2016 तक नकारात्मक सूची के अन्तर्गत छूट प्राप्त है, को आधार बनाते हुए सर्विस टैक्स मामले के इस केस में लगभग 6315 करोड रूपये से अधिक की बडी राहत प्राप्त की है। इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए बताया कि सीबीईसी द्वारा 20 जून को जारी मार्गदर्शिका में कहा गया है कि खनन अधिकार सहायक सेवाएं नहीं है तथा इन सेवाओं को नकारात्मक सूची के अंतर्गत छूट प्राप्त है। केन्द्रीय अपील अधिकरण ने राज्य सरकार के पक्ष को स्वीकार करते हुए यह निर्णय पारित किया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समय समय पर विभागीय समीक्षा बैठकों के दौरान कोर्ट केसेज को गंभीरता से लिए जाने और प्रभावी तरीके से राज्य सरकार का पक्ष रखने के निर्देश देते रहे हैं।

प्रमुख सचिव माइन्स एवं पेट्रोलियम रविकान्त ने बताया कि आयुक्त सी.जी.एस.टी. जोधपुर ने राजस्थान में खनिज तेल उत्खनन से प्राप्त रॉयल्टी/डेडरेन्ट को अचल सम्पत्ति के किराए के रूप में प्राप्त करना मानते हुए दिनांक 01.04.2013 से 31.03.2016 तक की अवधि के लिए 1657.71 करोड रूपये का सर्विस टैक्स तथा इस पर लगभग 3000 करोड का ब्याज व 1657.71 करोड रूपये की पेनल्टी जमा कराने के लिए पेट्रोलियम विभाग को समन जारी किया था। यह कर वित्त अधिनियम, 1994 के तहत “सहायक सेवा“ के रूप में वर्गीकृत “अचल संपत्ति के किराए“ के तहत उक्त अवधि हेतु लगाया गया था।

राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की लीजों पर उत्पादन हो रहा है। इससे राज्य सरकार को प्राप्त होने वाले डेडरेंट और रॉयल्टी को जोधपुर सीजीएसटी ने किराये के रुप में प्राप्ति मानते हुए इस पर टैक्स आरोपित करने के साथ ही उस पर ब्याज और जुर्माना भी लगा दिया था जबकि खनन लीजों पर डेडरेंट और रॉयल्टी इस तरह के टैक्स के दायरें में नहीं आता है।

निदेशक पेट्रोलियम अजय शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की और से सीए रितुल पटवा ने प्रभावी तरीके से पक्ष रखते हुए केन्द्रीय कस्टम एक्साईज एवं सेवाकर अपील अधिकरण नई दिल्ली में पेरवी की और इसके परिणाम स्वरुप राज्य को 6315 करोड़ रु. की बड़ी राहत मिल सकी है।

अधिकरण ने निदेशक, पेट्रोलियम विभाग, राजस्थान और आयुक्त सी.जी.एस.टी., जोधपुर के मध्य प्रकरण संख्या 52715/2019 की सुनवाई पूर्ण करते हुए 25 जून को अपना फैसला सुनाते हुए पेट्रोलियम विभाग राजस्थान की इस अपील को स्वीकार कर लिया है कि खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्खनन के लिए स्वीकृत किए गए खनन पट्टे की भूमि अपीलकर्ता के स्वामित्व में नहीं है और उत्खनन से उत्पादित खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस पर रॉयल्टी/डेडरेन्ट खनिज उत्पादन के लिए क्षतिपूर्ति करता है, ना कि संपत्ति किराए के लिए।

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