इंसुलिन की भारी कमी, 2030 तक डायबीटीज के 4 करोड़ मरीज रह जाएंगे दवा से वंचित
लंदन
दुनियाभर में डायबीटीज महामारी की तरह फैल रही है और डायबीटीज को कंट्रोल करने में इस्तेमाल होने वाली दवा इंसुलिन की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन अगले कुछ सालों में लाखों-करोड़ों लोग ऐसे होंगे जो इंसुलिन के इंजेक्शन से वंचित रह जाएंगे। हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बताया गया है कि इंसुलिन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए अगर उसकी आपूर्ति और कीमत में कमी नहीं की गई तो बहुत से डायबीटीज के मरीजों को इंसुलिन नहीं मिल पाएगा।
डायबीटीज से पीड़ित है 10 प्रतिशत आबादी
1980 में जहां दुनिया की 5 प्रतिशत आबादी डायबीटीज से पीड़ित थी वहीं आज यह संख्या दोगुनी हो गई है यानी अब दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी डायबीटीज से पीड़ित है। डायबीटीज एक ऐसी बीमारी जिसका सही समय पर इलाज न हो तो पीड़ित व्यक्ति की आंखों की रोशनी जा सकती है, किडनी फेल हो सकती है, हृदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं और यहां तक की अंग काटने तक की नौबत आ सकती है। दुनियाभर में टाइप 2 डायबीटीज तेजी से फैल रहा है जिसका संबंध मोटापा और एक्सर्साइज की कमी से है। लोगों की बदलती लाइफस्टाइल टाइप 2 डायबीटीज की सबसे बड़ी वजह है।
अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो अगले 12 सालों में टाइप 2 डायबीटीज का सफल इलाज करने के लिए 20 प्रतिशत अधिक इंसुलिन की जरूरत होगी। लेकिन साल 2030 तक दुनिया के 7 करोड़ 90 लाख टाइप 2 डायबीटीज के आधे मरीजों तक भी इंसुलिन नहीं पहुंच पाएगा। स्टैन्फोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ संजय बासु कहते हैं कि एशिया और अफ्रीका के देशों में इंसुलिन की सबसे ज्यादा कमी देखने को मिल रही है। वैसे तो यूनाइटेड नेशन्स ने डायबीटीज की दवा सभी तक पहुंचे इस बारे में दिशा निर्देश जारी किए हैं, बावजूद इसके इंसुलिन की कमी देखने को मिल रही है जो जरूरतमंद मरीजों तक नहीं पहुंच पा रही।