एक ऐसा गांव जहां मच्छरदानी में रखी जाती हैं गाय-भैंस 

 एक ऐसा गांव जहां मच्छरदानी में रखी जाती हैं गाय-भैंस 

मोहनियां 
कैमूर जिले के मोहनियां प्रखंड का सरेयां एक ऐसा गांव हैं, जहां गाय-भैंस को भी मच्छरदानी के अंदर रखा जाता है। ऐसा करने से न केवल मवेशियों को आराम मिलता है और बीमारियों से बचते हैं, बल्कि पशुपालक डेढ़ से 2 लीटर दूध ज्यादा निकालते हैं। मवेशियों के प्रति पशुपालकों का लगाव व इंसानियत की चर्चा इलाके में हो रही है। 

प्रखंड की अमेठ पंचायत स्थित सरेयां गांव जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के लिये नजीर बना गया है। ग्रामीणों के तरक्की के इस नए प्रयोग को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग सरेयां आ रहे हैं। सरेयां गांव निवासी व उपप्रमुख प्रमोद सिंह यादव बताते हैं कि पशुओं में भी संवेदना होती है, केवल  उसे समझने की जरूरत है। हमलोग मवेशियों की पीड़ा को समझते हुए इस तरह का नया प्रयोग किए हैं, ताकि वह मच्छरदानी में आराम से बैठ और सो सकें। इससे मवेशी कभी बीमार होते नहीं दिखते हैं।

ग्रामीण रामएकबाल सिंह यादव बताते हैं कि मवेशियों के लिए मच्छरदानी लगाने की शुरूआत सात साल पहले उन्होंने ही किया। इसके बाद धीरे-धीरे गांव के सभी लोग इस तरह का प्रयोग करने लगे। उन्होंने बताया कि मवेशियों को मच्छरदानी में रखने से दूध उत्पादन में पहले की तुलना में सवा गुना वृद्धि हुई और पशु भी काफी स्वस्थ्य हैं।

ग्रामीण गंगा यादव बताते हैं कि पिछले सात सालों से गाय व भैंस के लिए मच्छरदानी का प्रयोग कर रहे हैं, जिसका लाभ हम किसानों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि मच्छरों के काटने से मवेशी दूध कम देने लगते हैं और उनका स्वास्थ्य भी खराब होने लगता है। 

कई मामलों में मिसाल पेश किया है सरेयां गांव
प्रखंड का सरेयां गांव कई मामलों में मिसाल पेश किया है। इस गांव के अनूठे प्रयास को आज हर कोई सराह रहा है। डीएम डा. नवल किशोर चौधरी व एसपी दिलनवाज अहमद ने भी इस गांव की तारीफ की है। बताया जाता है कि सरेयां गांव में आजादी से आज तक एक भी मुकदमा थाने में नहीं गया है। ग्रामीण किसी भी समस्या का हल आपस में मिल-जुलकर स्वयं कर लेते हैं। ग्रामीण गांव के शिव मंदिर में जुटकर भगवान आमसभा करते हैं और भगवान शिव को जज मानकर सारा फैसला वहीं ले लेते हैं। उपप्रमुख प्रमोद यादव बताते हैं कि उनका गांव आज तक चोरी जैसी घटनाओं से काफी दूर रहा है।