एमरजेंसी पर 13 बार फोन करने पर भी नहीं मिला जवाब ; ठोका 178 करोड़ रुपए का केस
वॉशिंगटन
अमेरिका में एक महिला ने इमरजेंसी सर्विस पर मदद में देरी के लिए (25M$) यानि 178 करोड़ रुपए का दावा ठोका है। मिशगन की रहने वाली डोरोथी ग्रीन का कहना है कि पिछले साल मार्च में उनके पति स्टीफन ग्रीन को हार्ट अटैक आया। मौके पर मौजूद उनके कर्मचारियों ने एमरजेंसी सर्विस पर 13 बार कॉल किया, लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया। इससे स्टीफन की मौत हो गई। अब डोरोथी ने कोर्ट में इस देरी को जीवन और मौत के बीच का अंतर बताते हुए लापरवाही का आरोप लगाया है।
मिशिगन के सुरक्षा विभाग ने जांच के बाद बताया कि एमरजेंसी सर्विस में काम कर रहे एक डिस्पैचर ने 911 नंबर का स्पीकर बंद कर दिया था। लिहाजा, किसी को फोन की आवाज सुनाई नहीं दी और एमरजेंसी सेवाएं करीब आठ मिनट लेट हो गईं। ग्रीन परिवार ने अपनी याचिका में कहा है कि यही समय किसी को जिंदा रखने में फर्क बन सकता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 911 के दो ऑपरेटरों ने जानबूझकर फोन बंद कर दिए थे। दोनों को लापरवाही, जानबूझकर परेशानी पैदा करने और गलत तरीके से हुई मौत का जिम्मेदार बताया गया है।
ग्रीन के वकील जोनाथन मार्को ने डॉक्टरों के हवाले से बताया कि अगर एमरजेंसी सर्विस में उनकी शुरुआती काॅल उठा ली जाती तो स्टीफन की जान बच सकती थी। मार्को अब यह जानने की कोशिश में जुटे हैं कि एमरजेंसी सर्विस की लापरवाही की वजह से उस दौरान पूरे शहर में कितने लोगों को परेशानी हुई। कैंटन स्टेट के वकील क्रिस्टीन कोब के मुताबिक, इस घटना के बाद लापरवाही के जिम्मेदार दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही उन पर जांच बिठा दी गई। कोब ने कहा कि आने वाले समय में ऐसी परेशानी न हो इसके भी इंतजाम किए जाएंगे।