कलेस्ट्रॉल और मोटापा बढ़ाता है मैदा

कलेस्ट्रॉल और मोटापा बढ़ाता है मैदा

ज्यादातर लोग अपने दिन की शुरुआत ब्रेड के साथ करते हैं। कुछ को तो पिज्जा-बर्गर बहुत पसंद होता है तो कुछ मोमोज, ब्रेड, बिस्किट, पिज्जा, बर्गर, कुलचा, भटूरा और नान के जबरदस्त शौकीन होते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो ये चीजें रोज खाते हैं तो हम आपको बता दें कि मैदा सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। सेहत को किस तरह से नुकसान पहुंचाा है मैदा, यहां जानें...

आटा फायदेमंद तो मैदा क्यों नहीं?
मैदा और आटा, दोनों बनते तो गेहूं से ही हैं, मगर इन्हें बनाने के तरीके में अंतर होता है। आटा बनाते समय गेहूं की ऊपरी गोल्डन पर्त को निकाला नहीं जाता है। ये गोल्डन पर्त डाइट्री फाइबर का सबसे अच्छा स्रोत है। इसके अलावा आटे को थोड़ा दरदरा पीसा जाता है, जिससे गेहूं में मौजूद पोषक तत्व ज्यादा मात्रा में नष्ट नहीं होते जबकि मैदा बनाने से पहले गेहूं की ऊपरी गोल्डन पर्त हटा ली जाती है। इसके बाद गेहूं के सफेद भाग को अच्छी तरह, खूब महीन पीस लिया जाता है, जिससे न तो मैदे में कोई पोषक तत्व बचते हैं और न ही डाइट्री फाइबर।

ब्लीच से आती है मैदे में सफेदी
मैदा जितना सफेद और साफ होता है, वैसा पिसे हुए गेहूं का रंग नहीं होता। ज्यादा सफेदी और चमक लाने के लिए गेहूं को पीसने के बाद उसमें हानिकारक केमिकल्स से ब्लीच किया जाता है, जिसके बाद मैदा तैयार होता है। क्लोरीन, क्लोरीन डाई ऑक्साइड जैसे ब्लीचिंग एजेंट का इस्तेमाल मैदे को ब्लीच करने में किया जाता है। इन केमिकल्स का आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

आंतों में चिपक जाता है मैदा
मैदा बहुत चिकना और महीन होता है, साथ ही इसमें डाइट्री फाइबर बिल्कुल नहीं होता है इसलिए इसे पचाना आसान नहीं होता। सही से पाचन न हो पाने के कारण इसका कुछ हिस्सा आंतों में ही चिपक जाता है और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके सेवन से अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है।

कलेस्ट्रॉल और मोटापा बढ़ाता है
मैदा में स्टार्च बहुत ज्यादा होता है इसलिए इसे खाने से मोटापा बढ़ता है। बहुत ज्यादा मैदा खाने से वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। यही नहीं इससे कलेस्ट्रॉल और ब्लड में ट्राइग्लीसराइड का स्तर भी बढ़ता है। आरएमएलआई की डायटिशन पूनम तिवारी की मानें तो, अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो अपने आहार में से मैदे को हटा दें। इसे पचाना आसान नहीं होता है।