कैश वालों को तवज्जो, मनमानी पर उतारू निजी कोविड अस्पताल

कानपुर
सिविल लाइंस में रहने वाले मीत कुमार (बदला हुआ नाम) ने पिछले साल कोरोना काल में एक निजी कंपनी से कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस कराया था। 10 लाख का बीमा 22 हजार की सालाना किस्त में मिला था। इसमें वह, उनकी पत्नी और बच्चा शामिल था। अब वह कोरोना संक्रमित हो गए हैं। पहले गोविंद नगर के कोविड अस्पताल में भर्ती होने गए। वहां बताया कि उनका हेल्थ कार्ड बना है जो कैशलेस है लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इसके बाद परिजन उन्हें स्वरूपनगर स्थित अस्पताल में ले गए जो हाल में कोविड अस्पताल बना है। वहां पर भी कार्ड की जगह नकद भुगतान पर ही भर्ती करने की बात बताकर भर्ती नहीं किया गया।
गोविंदनगर में रहने वाले जसजीत सिंह (बदला हुआ नाम) ने भी पिछले साल कोरोना काल में हेल्थ पॉलिसी ली थी। पांच लाख की कैशलेस पॉलिसी 15 हजार में ली थी। कोरोना संक्रमित होने पर जसमीत गोविंदनगर स्थित कोविड अस्पताल में भर्ती होने गए थे, लेकिन उन्हें भी भर्ती नहीं किया गया। कहा गया कि नकद भुगतान करने पर ही इलाज हो रहा है।
ये दो केस बानगी भर हैं। कोरोना महामारी के बीच निजी कोविड अस्पताल पूरी तरह से मनमानी पर उतारू हैं। किसी भी नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने में जरा सा भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। बीते वर्ष कोरोना से बचने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने सरकारी और निजी कंपनियों से कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस कराया था। पर निजी कोविड अस्पताल कैशलेस कार्ड देखकर कोविड रोगी को भर्ती तक नहीं कर रहे हैं।
बीते वर्ष इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा) की पहल पर साधारण बीमा कंपनियां और निजी कंपनियां कई तरह की पॉलिसी लाई थी। सरकार ने कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम की पॉलिसी भी बीमा कंपनियों से जारी करवाई थी।
इसमें कंपनियां साढ़े तीन माह से लेकर साढ़े नौ माह की अवधि की पॉलिसी लेकर आई थी जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया था। इसमें कोरोना के अलावा अन्य इलाज की भी सुविधा दी गई थी। लेकिन अब ये पॉलिसीधारक परेशान हैं। जनरल इंश्योरेंस इंप्लाइज ऑल इंडिया एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी नॉर्दर्न जोन संजीव निगम ने बताया कि शहर के अस्पताल मनमानी कर रहे हैं। यह गलत है। कोई पॉलिसीधारक इसीलिए कैशलेस इलाज की सुविधा रखता है कि आपात स्थिति में उसे कैश की दिक्कत न हो। बीमा कंपनियां अपने स्तर पर सभी सुविधाएं दे रही हैं। अस्पताल प्रबंधन नियमों का पालन करें।
इरडा ने शनिवार को निर्देश जारी कर कहा है कि बहुत से अस्पताल पॉलिसीधारकों से कोविड 19 के इलाज के लिए नकद भुगतान पर जोर दे रहे हैं। ऐसे मरीजों को भर्ती करने पर भेदभाव किया जा रहा है। ऐसे में बीमा कंपनियां अस्पताल प्रबंधन से अस्पताल के सेवा स्तर पर हुए समझौते का पालन करवाएं। ऐसे दावों का निपटान भी जल्दी कराएं।