कोरोना संकटकाल में एकजुट हो सिक्ख समाज

रायपुर
त्याग, तपस्या, बलिदान की गाथा लिखना सिक्ख समाज की पहचान है. इतिहास में जब भी ऐसे संकट आए वह चाहे प्राकृतिक आपदा हो, महामारी हो या देशवासियों की रक्षा करने की घड़ी आयी हो, सिक्ख समाज हमेशा से ही सेवा समर्पण की अपनी सशक्त मौजूदगी के लिए पूरे देश-दुनिया में जाना जाता रहा है. शासन-प्रशासन और आमजनों के बीच सरदारजी के संबोधन से वह गौरव महसूस करता है. विगत वर्षों में जितनी भी प्राकृतिक आपदाओं में जिस तरह सिक्ख धर्म के लोगों ने अपने सेवा-समर्पण से पूरी दुनिया में मदद का हाथ बढ़ाया है.
सिक्ख समाज के हर वर्ग के लोगों नेगुरु नानक देवजी के शबद- मानस की जातै सभै एक ही पहचान... को चरितार्थ करते हुए पिछले साल कोरोना काल में जिस तरह मदद का हौसला बढ़ाते हुए हर जगह सेवा करते हुए लंगर, कच्चा राशन मजदूरों को गंतव्य तक पहुचाने की सेवा दी. अब हमें अपने समाज को उन लोगों तक मदद-सहयोग की जरूरत आन पड़ी है, जो कि निम्न और छोटे व्यवसायी हैं, जिनके सामने रोजी-रोटी के अलावा परिवार जन की हर सुविधाएं पढ़ाई-लिखाई,स्वास्थ्य की चिंता माथे पर दिखती है तो सबसे पहले हम अपने समाज के लोगों पर ध्यान देना होगा. और उनके जीवन पर समाज ने हर कदम हौसला बढ़ाते हएु सक्षम सिक्ख परिवारों ने उनका ध्यान रखते हुए सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं में जो फंड है, उसके माध्यम से वित्तीय मदद करते हुए संगत का फंड संगत के काम आये ऐसा करना होगा. वर्तमान कोरोना काल में कुछ सिक्ख परिवार दाने-दाने के लिए घूमते फिर रहे हैं और महामारी में इलाज कराने मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं. अस्पतालों में आर्थिक तंगी के हालात में वे भर्ती शुल्क जान कर उनकी चिंता और अधिक बढ़ रही है. उन्हें आर्थिक मदद की नितांत आवश्यकता है. समाज के कुछ युवा सेवादार अपने सामर्थ्य के मुताबिक सेवा कर रहे हैं, लेकिन धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के पास जो लाखों रुपए के फंड जमा हैं, वे संस्थाएं इन जरूरतमंदों के लिए मदद मुहैया करा सकती है. उन्हें आगे बढ़कर अपने समाज के लोगों तक पहुंच कर इस महामारी की आपदा से अपने सिक्ख होने का फर्ज अदा कर समाज के अगुवा होने का धर्म निभाना चाहिए. वैसे इन दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी में अनेक धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं अपने स्तर पर आगे आकर बेहतर सेवा देने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनकी कोशिशें लोगों की जरूरत के आगे कमतर बनी हुई हैं.
इस महामारी के संकट काल से निपटने हमें समाज की एकजुटता के साथ सेवा कार्यों को एक नई दिशा देने की जरूरत आन पड़ी है. आज हमारे पास विशाल और सर्वसुविधायुक्त भवन उपलब्ध हैं. समाज की सभी संस्थाएं आपसी मतान्तरों आदि सब कुछ को भूलकर एक छत के नीचे आकर गुरु तेग बहादुर भवन राजभवन के सामने हमें एक डायोलिसिस सेंटर या 50 बिस्तर अस्पताल का संचालन करने में समर्थ हैं. इसके लिए सभी धार्मिक संस्थाएं अपने डिपाजिट फंड को एकत्र कर उसका सार्थक उपयोग कर अपनी सिक्खी भागीदारी बढ़ाने का परिचय दे सकती हैं. सबकी यह समन्वित पहल समाज के दीन-दुखियों के लिए इन मुश्किल दिनों में मददगार साबित हो सकती है. हालांकि इस भवन में अब तक समाज द्वारा अनेक सेवाएं दी जाती रही हैं और समाज का युवा वर्ग सेवा कार्यों से जुड़ा हुआ है. ऐसे ही सेवाभावी युवाओं को आगे आकर उनके मजबूत कंधों पर सेवा का यह कार्य सौंपने का अब वक्त आ चुका है. वर्तमान शासन में भी हमारे सिक्ख समाज के सक्षम जनप्रतिनिधि भी अपना दायित्व सम्हाले हुए हैं, वे सीधे मुख्यमंत्री से संपर्क कर और शासन-प्रशासन की मदद लेकर यह कार्य आसानी से संचालित करने में समर्थ हैं. समाज के प्रमुखों को आगे आकर सबकी मदद लेकर कुछ बेहतर करना होगा. तेरी सेवा-तेरी सेवा सकल जगत तेरी सेवा... का शबदगुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र वाणी में है. जिसे चरितार्थ कर दिल्ली के गुरुद्वारा साहिब में एक बड़ा अस्पताल व दवा वितरण का केंद्र संचालित किया जा रहा है, उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ के सिक्ख समाज को भी अपनी सेवा गतिविधियों का विस्तार किया जाना चाहिए. दिल्ली की सिक्ख साध संगत ने यह कर दिखाया और यह साबित कर दिया है कि सिक्ख समाज जब चाहे, जैसा चाहे वह संकट के समय एकजुट होकर सेवाएं देने तत्पर है. गुरु की कृपा से सिक्ख समाज यह संभव करने में पूरी तरह समर्थ है. देश के कई समाज की तुलना में छत्तीसगढ़ में भले ही समाज-संगठनों की संख्या कम हो, इस पर भी छत्तीसगढ़ का सिक्ख समाज अपनी सशक्त मौजूदगी का एहसास सर्व समाज को समय-समय पर कराता रहा है.