चुनाव से पहले कांग्रेस ने खोला सरकार का कच्चा चिट्ठा
भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में चार दिन बचे हैं। 26 नवंबर से चुनावी शोर थम जाएगा। उससे पहले कांग्रेस हर रोज भाजपा सरकार और सीएम शिवराज पर करारा हमला बोल रही है। शनिवार को कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुईं महिला हिंसा को लेकर निशाना साधा। कांग्रेस ने ‘अंधेर गर्दी-चैपट राज’ नाम से सरकार का कच्चा चिट्ठा जारी कर गंभीर आरोप लगए हैं। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में दुष्कर्म के मामले 249 प्रतिशत बढ़े हैं। जबकि प्रदेश में सीएम खुद को बेटियों का मामा कहते हैं और उनकी सुरक्षा के दावे करते हैं।
कांग्रेस के जारी ‘अंधेर गर्दी-चैपट राज’ में शिवराज के सत्ता सम्हालने के बाद मासूम बेटियों के साथ दुष्कर्म 249 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2004 में 710 घटनायें होती थी वे बढ़कर आज 2479 हो गई हैं। बहन-बेटियों के अपहरण 755 प्रतिशत बढ़ गये हैं। वर्ष 2004 में 584 अपहरण की घटनाऐं होती थी जो आज बढ़कर 4994 हो गयी हैं। यह जानकर रूह कांप जाती है कि मामा राज में 241535 महिलाएं अपराधियों का शिकार हुई हैं।
ऐसा नहीं कि मामा राज की सरपस्ती में सिर्फ अपराध ही बढ़े हैं, मामा सरकार न्यायालय में भी बेटियों की अपेक्षा अपराधियों का साथ दे रही है। महिला अपराध में सजा की दर मात्र 27.8 है अर्थात 70 प्रतिशत अपराधी कमजोर प्रोसिक्यूशन की वजह से छोड़ दिये जाते हैं। मामा जी जब शासन में आये थे, तब महिला अपराध के लगभग 7000 मामले लंबित थे। आज यह आंकड़ा 85383 पहुंच गया है अर्थात 79.7 प्रतिशत प्रकरण लंबित हैं।
यही नहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बहन-बेटियां ही नहीं मामा राज में मध्यप्रदेश के नौनिहाल भी अराजक सत्ता के सताऐं हुए हैं। प्रदेश में बच्चों एवं नवजात शिशुओं की मृत्यु दर देश में सबसे ज्यादा है। एक साल तक के 90 हजार बच्चें अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते। इसी प्रकार जीवन के 28 दिन के बाद ही 61 हजार बच्चे प्रतिवर्ष मौत की आगोश में समा जाते हैं।
मामा राज के तेरह सालों में 88908 बच्चे अपराधियों का शिकार हुए हैं, 23243 बच्चे अपहरणकर्ताओं की गिरफ्त में आये हैं और 18004 बच्चे बलात्कार का शिकार हुए हैं। कहते हैं कि किसी भी राज्य का भविष्य उसके नौनिहालों की शिक्षा पर आधारित होता है। मामाजी ने शिक्षा-व्यवस्था का ही बेढ़ागर्क कर दिया तो मध्यप्रदेश का भविष्य कैसे संवर सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कुल 150762 स्कूलों में से 71.2 प्रतिशत स्कूलों में बिजली के कनेक्शन भी नहीं हैं। सिर्फ 15 प्रतिशत स्कूलों में कम्प्यूटर की शिक्षा दी जा रही है। सिर्फ 19 प्रतिशत स्कूलों में पुस्तकालय की व्यवस्था है।
अब जो खुलासा किया जा रहा है वह बेहद ही दर्दनाक और हृदयविदारक है। एक माँ होने के नाते जब मेरी निगाह मामा सरकार में हो रहे बच्चों की तस्करी के कारोबार पर गई तो मेरा मन फूट-फूट कर रोने लगा कि क्या कोई सरकार इतनी भी गैर जिम्मेदार और निष्ठुर हो सकती है कि बड़े पैमाने पर हो रही बच्चों और मानव तस्करी को मौन साधे देखती रहे। हरगिज यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। मध्यप्रदेश में 2004 से 2017 तक 1 लाख 18 हजार 789 बच्चे गुम हुए हैं, इसमें 70 हजार से अधिक बेटियां हैं। जिसमें से आज भी 19 हजार 153 बच्चे गायब हैं। कानून यह कहता है कि अगर तीन माह से अधिक बच्चे नहीं मिलते हैं तो मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। मगर मामा जी अपनी झूठी प्रसिद्धी का फूटा हुआ ढोल पीटते हैं और मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज नहीं करते।