छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मंत्रिमंडल बनते ही सामने आई कांग्रेस में बगावत
रायपुर
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मंत्रिमंडल गठन होते ही कांग्रेस नेताओं के बीच बगावत सामने आई है. राजिम विधानसभा सीट से विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता अमितेश शुक्ला ने मंत्री ना बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि, 'मेरा नाम शपथ लेने वाले मंत्रियों में नहीं है. मेरा परिवार नेहरु-गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ जुड़ा रहा है. मैं उनसे हमेशा न्याय की उम्मीद करूंगा.'
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में कुल 10 मंत्रियों ने शपथ ली है. अब तक यह कयास लगाई जा रही थी कि नवनिर्वाचित विधायक व पूर्व पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ला को दोबारा कांग्रेस की नई सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
मंत्री ना बनाए जाने से अमितेश शुक्ला के समर्थक भी खासे नाराज हैं. दरअसल, ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि शुक्ला ने राजिम सीट से छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. यही नहीं उनके परिवार और राजिम विधानसभा से कांग्रेस की जीत होने पर सालों से यह रिकॉर्ड रहा है कि जो भी यहां से जीत हासिल करता है, उसे कांग्रेस सरकार में मंत्री पद दिया जाता है. इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते स्व. श्यामाचरण शुक्ल तीन बार अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे. इसके चलते यह क्षेत्र ना केवल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है बल्कि प्रदेश कांग्रेस की राजनीतिक में अहम स्थान भी रखता है.
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में शुक्ला चुनाव जीतने के बाद से दिल्ली में थे और राहुल गांधी, पीएल पुनिया सहित कई बड़े नेताओं से लगातार मुलाकात भी की थी पर बात नहीं बनी और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल की सूची में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए गए हैं. मुख्यमंत्री बनने की रेस में रहे कांग्रेस नेता चरणदास महंत छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं. उनके अलावा रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, प्रेमसाय सिंह और कवासी लखमा ने मंत्री पद की शपथ ली.
इसके अलावा शिव डहरिया कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. वो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. डहरिया सतनामी समाज के नेता हैं. अनिला भेड़िया दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं. महिला और आदिवासी वर्ग की शर्त पूरी करती हैं. जयसिंह अग्रवाल लगातार तीन बार कोरबा विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए हैं. जबकि रुद्र गुरू दूसरी बार विधायक बने हैं. अनुसूचित जाति में सतनामी समाज के धर्मगुरू उमेश पटेल लगातार दूसरी बार विधायक बने.