ट्रेन आएगी तब जल जाएगी सभी लाइट,वैसे 70 फीसद रहेगी बंद

ट्रेन आएगी तब जल जाएगी सभी लाइट,वैसे  70 फीसद रहेगी बंद

जबलपुर
 रेलवे ने खर्चों में कटौती करने के लिए नई तकनीक का सहारा लेना शुरू कर दिया है। पश्चिम मध्य रेलवे (पमरे) ने रेलवे स्टेशन पर बिजली की खपत कम करने के लिए प्लेटफार्म पर स्वचालित लाइट नियंत्रण सिस्टम लगाया है। इसकी मदद से प्लेटफार्म पर होने वाली बिजली की खपत को 70 फीसद कम किया जाएगा। जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर इस सिस्टम को प्रयोग के तौर पर लगा दिया गया है। यह सिस्टम प्लेटफार्म के दोनों ओर आउटर पर लगे सिग्नल की मदद से संचालित होगा। जैसे ही ट्रेन आउटर पर लगे सिग्नल को पार करते हुए प्लेटफार्म की सीमा में प्रवेश करेगी, उस प्लेटफार्म की 100 फीसद लाइट खुद ही जल जाएगी। जब तक ट्रेन यहां खड़ी रहेगी लाइट जलती रहेगी और जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म से रवाना होकर आउटर के सिग्नल को पार करेगी, प्लेटफार्म की 70 फीसद लाइट खुद बंद हो जाएगी।

मालूम हो, रतलाम रेल मंडल में इस तरह की व्यवस्था तीन साल से है, लेकिन पमरे में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल किया गया है। यह प्रयोग सफल होता है तो पमरे के सौ स्टेशनों पर इसका उपयोग किया जाएगा। इस व्यवस्था को रेलवे द्वारा खर्च में कटौती करने के रूप में देखा जा रहा है। पमरे के विद्युत विभाग ने स्वचालित लाइट नियंत्रण सिस्टम को जबलपुर के अलावा भोपाल और नरसिंहपुर स्टेशन के कुछ चुनिंदा प्लेटफार्म पर प्रयोग के तौर पर लगाया है। रेलवे जोन की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रियंका दीक्षित बताती हैं कि जबलपुर के प्लेटफार्म-एक पर प्रयोग के तौर पर सिस्टम को लगा दिया गया है। इसकी मदद से रेलवे साल में तकरीबन 15 हजार 500 यूनिट बिजली की बचत करेगा। इसके बेहतर परिणाम सामने आते ही सिस्टम को पमरे के सभी प्रमुख स्टेशनों के प्लेटफार्म पर लगाया जाएगा। वहीं, जबलपुर और नरसिंहपुर दोनों स्टेशन पर लगाए इस ऑटोमैटिक सिस्टम की मदद से साल में तकरीबन एक लाख 79 हजार रुपये की बिजली बचेगी। दरअसल, इस सिस्टम के माध्यम से सिग्नल और प्लेटफार्म की लाइट को जोड़ा गया है। ट्रेन के प्रवेश करने और उसके सिग्नल पार करते ही यह सिस्टम स्वचलित रूप से चालू और बंद हो जाएगा।

30 फीसद लाइट से प्लेटफार्म पर पर्याप्त लाइट

विशेषज्ञों के मुताबिक इस सिस्टम को लगाते वक्त इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि किस स्थान पर लाइट की जरूरत है और कहां पर नहीं। प्लेटफार्म पर ट्रेन न होने के वक्त 30 फीसद लाइट पर्याप्त होती है और 70 फीसद लाइट अनावश्यक जलती है। प्लेटफार्म पर 30 फीसद लाइट में वह स्पॉट शामिल होंगे, जहां यात्रियों की आवाजाही ज्यादा होती है, जिसमें प्लेटफार्म का वेटिंग रूम से लेकर स्टॉल, प्रवेश द्वार और सुरक्षा कक्ष प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि रतलाम रेल मंडल में इस तरह की व्यवस्था तीन साल से है, लेकिन पमरे में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल किया गया है। यह प्रयोग सफल होता है तो पमरे के सौ स्टेशनों पर इसका उपयोग किया जाएगा।