डिप्टी स्पीकर पद के लिए YSRCP ने रखी ये शर्त

डिप्टी स्पीकर पद के लिए YSRCP ने रखी ये शर्त

नई दिल्ली
17वीं लोकसभा को ओम बिड़ला के रूप में नया स्पीकर मिल गया है और अब सदन को नए डिप्टी स्पीकर की तलाश है. इस पद के लिए कई दल अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं जिनमें सरकार की सहयोगी शिवसेना से लेकर वाईएसआरसीपी और बीजेडी जैसे विपक्षी दल भी शामिल हैं. आमतौर पर यह पद किसी विपक्षी पार्टी को देने की परंपरा रही है और इसी का पालन करते हुए पिछली बार AIADMK को यह पद दिया गया था.

सूत्रों के मुताबिक जगह मोहन रेड्डी की पार्टी को डिप्टी स्पीकर का पद ऑफर किया गया है लेकिन YSRCP ने इस पद को लेने से पहले एक शर्त लगा दी है. पार्टी का कहना है कि वह डिप्टी स्पीकर का पद लेकर सरकार के साथ खड़े दिखना नहीं चाहते हैं. जगन की पार्टी ने साफ किया है कि जब तक आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता तब तक वह सत्ताधारी दल के साथ नहीं खड़े होंगे. हालांकि पार्टी ने विपक्षी दलों से भी बराबर की दूरी बनाने की बात कही है.

विशेष राज्य की लड़ाई

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग मोदी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है. इसी वजह से पिछली सरकार से आंध्र की पार्टी टीडीपी सत्ता से बाहर हो गई थी. 16वीं लोकसभा के कई सत्र इसी मांग की वजह से हंगामे की भेंट चढ़ गए थे. अब अगर वाईएसआरसी इस मांग पर अड़ी रही तो फिर से संसद में हंगामा होना तय है.

दूसरी ओर बड़े विपक्षी दलों में एक बीजेडी की नजर भी डिप्टी स्पीकर के पद पर है लेकिन बीजेपी नवीन पटनायक की पार्टी को शायद ही इस लायक समझे. भले ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी केंद्र सरकार के फैसलों का साथ खड़ी नजर आ रही हो लेकिन राज्य में बीजेपी-बीजेडी के हितों का टकराव है. सूबे में बीजेपी अपने पैर पसारने में लगी है और बीजेडी को वहां अपना किला बचाना है. ऐसे में ओडिशा की इस पार्टी को दिल्ली में बीजेपी अपने साथ खड़ा करके खतरा मोल नहीं लेना चाहेगी.

उधर, एनडीए में शामिल शिवसेना ने भी डिप्टी स्पीकर पद के लिए हामी भरी है लेकिन सत्ताधारी दल से स्पीकर के चुनाव के बाद दूसरा बड़ा पद भी सत्तापक्ष को देना परंपरा के खिलाफ जा सकता है. पिछली बार दूसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस को दरकिनार कर मोदी सरकार ने तीसरे नंबर की पार्टी AIADMK के एम. ​थंबीदुरई को डिप्टी स्पीकर बनाया था, जिस फैसले पर सवाल भी उठाए गए थे.

क्या है शिवसेना की मांग

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि डिप्टी स्पीकर का पद कोई मांग नहीं है, बल्कि गठबंधन में दूसरा बड़ा दल होने के नाते उनका अधिकार है. शिवसेना के 18 सांसद इस बार जीतकर आए हैं. ऐसे में अगर बीजेपी उसके डिप्टी स्पीकर के पद की मांग को मान लेती है तो शिवसेना से सांसद विनायक राऊत के नाम पर मुहर लग सकती है. महाराष्ट्र की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से सांसद विनायक राऊत की गिनती शिवसेना के अनुभवी नेताओं में होती है.