धान की रिकॉर्ड तोड़ खरीदी के बाद खपत को लेकर शुरू हुई राजनीति

धान की रिकॉर्ड तोड़ खरीदी के बाद खपत को लेकर शुरू हुई राजनीति

रायपुर 
छत्तीसगढ़ की राजनीति किसानों पर केन्द्रीत हो गई है. प्रदेश में धान की बंपर पैदावार और रिकॉर्ड तोड़ खरीदी के बाद अब धान को खपाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. प्रदेश में 1995 उपार्जन केन्द्र हैं, जहां से धान की खरीदी होती है. इस वर्ष 80 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी हुई है, जिसमें 21 लाख 40 हजार क्विंटल सरना धान की खरीदी हुई है. पतला धान महज 1 लाख 65 हजार क्विंटल ही खरीदा गया है.

खरीदे गए धान में सरना धान की मात्रा अधिक है, जिसकी खपत नहीं होने की वजह से अब विभाग धान की निलामी करने में जुट गया है. वहीं धान की निलामी को लेकर भाजपा ने कांग्रेस सरकार के पास सही नीतियां नहीं होने और इस निलामी को नौटंकी करार दिया है. बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि बिना नीति बनाए ही सरकार ने धान खरीद लिए हैं. अब उसे खपाने में परेशानी हो रही है.

प्रदेश में भले ही रिकॉर्ड तोड़ धान की खरीदी हुई है, मगर धान के उठाव से लेकर निष्पादन तक कई तरह की अव्यवस्था उजागर हुई है. केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार से चावल खरीदने से मना कर दिया है. कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि भाजपा छत्तीसगढ़ के साथ शौतेला व्यवहार कर रही है. बहरहाल विभाग ने सरना धान की निलामी के लिए मौखिक आदेश तो जारी कर दिया है. 5 जिलों में धान की निलामी होगी. राज्य सरकार ने 2500 रुपये में धान की खरीदी की है और निलामी में यह धान कितने निलाम होता है यह तो वक्त ही बताएगा.