धोनी का छक्का, और गंभीर का दर्द-ए-दिल, हम बस उस एक शॉट की वजह से नहीं जीते थे वर्ल्ड कप
नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट टीम ने आज से ठीक 10 पहले यानी 2 अप्रैल 2011 को 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में टीम इंडिया ने श्रीलंका को हराकर महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वनडे विश्व कप अपने नाम किया था।
गंभीर ने फाइनल में 97 रन की पारी खेली थी
खिताबी मुकाबले में गौतम गंभीर ने 97 जबकि धोनी ने नाबाद 91 रन की पारी खेली थी। युवराज सिंह ने नाबाद 21 रन बनाने के अलावा 2 विकेट भी चकाए थे। पेसर जहीर खान ने भी 2 विकेट लिए थे। धोनी ने छक्का जड़ टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई थी। मुनाफ पटेल को फाइनल में बेशक कोई विकेट नहीं मिला लेकिन उन्होंने ज्यादा रन भी नहीं दिए।
युवराज 'गुमनाम' हीरो थे
इस जीत को याद करते हुए गंभीर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, ' वर्ल्ड कप जीत के संभवत: 14 गुमनाम हीरो थे। मुनाफ, मैं, हरभजन सिंह और विराट कोहली जिन्होंने पहले मैच में शतक लगाया, सुरेश रैना जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अहम पारी खेली। उपरोक्त सभी खिलाड़ियों का योगदान अविश्वसनीय था। यदि मैं आज उस 10 साल पहले को देखता हूं तो मुझे लगता है कि 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' बनने के बावजूद युवराज 'गुमनाम' हीरो रहे। आप इनके बारे में बात नहीं करते, लोग केवल उस एक छक्के के बारे में बात करते हैं। इन सभी के योगदान से ही भारत वर्ल्ड चैंपियन बना था।' जब फाइनल में भारत को जीत के लिए 11 गेंदों पर 4 रन चाहिए थे, तब धोनी ने सिक्स लगाकर विश्व कप को भारत के नाम कर दिया था। युवराज ने विश्व कप में 362 रन बनाने के अलावा 15 विकेट चटकाए थे। युवी ने भारत को टी20 वर्ल्ड कप दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।
'मेरे लिए दोनों वर्ल्ड कप में युवी सबसे बड़े खिलाड़ी थे'
युवराज ने पांचवें गेंदबाज की भूमिका निभाई थी। बकौल गंभीर, ' लोगों का कहना था कि इस जीत का गुमनाम नायक मैं था। लेकिन मेरे लिए दोनों वर्ल्ड कप में युवराज गुमनाम हीरो की भूमिका में थे। मुझे लगता है कि बिना उनके योगदान के भारत 2011 में वर्ल्ड कप नहीं जीत सकता था। मेरे लिए दोनों वर्ल्ड कप में वह बड़े खिलाड़ी थे। यदि दोनों वर्ल्ड कप में मुझे एक खिलाड़ी का नाम लेना हो तो वह युवराज होंगे। हां, मैंने 2007 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में 75 रन बनाए थे लेकिन मुझे लगता है कि जो उन्होंने किया उसकी बराबरी कोई नहीं कर सका।'

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