नर्मदा जयंती पर नदी को पवित्र-शुद्ध व सुंदर बनाए रखने का लिया गया संकल्प

नर्मदा जयंती पर नदी को पवित्र-शुद्ध व सुंदर बनाए रखने का लिया गया संकल्प

जबलपुर 
नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है. नर्मदा की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर है और इसमें से 1077 किलोमीटर की लंबाई नर्मदा मध्यप्रदेश में तय करती है. जाहिर सी बात है , इसीलिए नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहते हैं. लेकिन, आज नर्मदा जयंती पर हर कोई से यही सवाल है कि क्या वाकइ नर्मदा के विकास के लिए सकारात्मक दोहन जितना मध्यप्रदेश को करना था, क्या वह कर पाया है? क्या मां नर्मदा के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकी गई? नर्मदा के किनारों में कोई सुधार नहीं हुआ, न ही पेड़ पौधे और न ही हरियाली देखने को मिलती है. वहीं गुजरात में नर्मदा अपनी लंबाई का सिर्फ 10 फीसदी सफर तय करती है, लेकिन उसका 90 फिसदी लाभ गुजरात को मिल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि मध्यप्रदेष पीछे क्यों है?

अमरकंटक से निकलने के बाद मध्यप्रदेश में नर्मदा का अंतिम जिला अलीराजपुर होता है. अलीराजपुर के ककराना गांव आते-आते नर्मदा मध्यप्रदेश में अपनी 1077 किमी की यात्रा पूरी कर गुजरात में प्रवेश कर जाती है. आज नर्मदा जयंती पर ककराना में हजारों लोग जुटे. नर्मदा को चुनरी चढ़ाई गई और नर्मदा को पवित्र-शुद्ध और सुंदर बनाए रखने का संकल्प भी लिया गया. मां नर्मदा का पूजा-अनुष्ठान भी हुआ और साथ ही संकल्पों की भी बाढ़ आ गई.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि नदियां जिनके किनारे सभ्यताएं विकसित हुई, उन्हीं नदियों में एक महत्वपूर्ण नदी नर्मदा भी है. हम नर्मदा को मां नर्मदा के नाम से जानते हैं. मप्र में नर्मदा को जीवनदायनी नर्मदा तो माना जाता है, लेकिन अभी तक सरकारों ने इसे वास्तविक जीवन और रोजगार दायनी बनाने में कंजूसी बरती है. वहीं राजनीतिक पार्टियों ने मां नर्मदा के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंकी है. ये सब नर्मदा के किनारे बने घाटों को देख लेने मात्र से बहुत कुछ उजागर हो जाता है.