नाग पंचमी 2018: जब श्री कृष्ण ने भेजा कालिया नाग को पाताल लोक
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नागों को दूध पिलाने की परम्परा है। कहते हैं पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नाग देवता ही हैं। यह त्योहार देश के अलग अलग हिस्सों में बड़े ही धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से शिव जी अत्यंत प्रसन्न होते है और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
वैसे यह त्योहार महादेव और नाग देवता से जुड़ा हुआ है लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इसमें श्री कृष्ण का नाम भी जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं नाग पंचमी के पीछे का रहस्य और इस त्योहार से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां।
श्री कृष्ण और कालिया नाग
एक कथा के अनुसार गोकुल में कालिया नाग ने चारों तरफ आतंक मचा रखा था। कहते हैं पहले कालिया नाग रमण द्वीप में निवास करता था लेकिन जब उसकी दुश्मनी गरुड़ देव से हो गयी तब विवश होकर उसे रमण द्वीप छोड़कर यमुना नदी में वास करना पड़ा।
यमुना नदी में प्रवेश करते ही उसने सबको डसना शुरू कर दिया। जो भी उस नदी के समीप जाता कालिया नाग उसे मार डालता। इतना ही नहीं उसके कारण यमुना का पानी भी विषैला हो गया था।
मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवर भी उसके अत्याचार से पीड़ित थे। तब एक दिन श्री कृष्ण ने अपनी लीला रची। वे अपने सखाओं के साथ गेंद खेलने यमुना के किनारे गए। जब उनकी गेंद पानी में जा गिरी तब वे उसे निकालने नदी में कूद गए। कालिया श्री कृष्ण को एक साधारण बालक समझकर विष की फूँकार छोड़ने लगा लेकिन उसके विष का भगवान पर कोई असर नहीं हुआ। यह सब देख कर उसे बहुत आश्चर्य हुआ फिर युद्ध करते करते जब कालिया थक गया तब श्री कृष्ण उसके फन पर चढ़ गए और अपने पैरों से उस पर प्रहार करने लगे। कृष्ण के प्रहार को कालिया सहन नहीं कर पाया और यमुना छोड़ने को मजबूर हो गया।
श्री कृष्ण के हाथों पराजित होने के बाद कालिया नाग हमेशा के लिए पाताल लोक चला गया। कहा जाता है जिस दिन श्री कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना से दूर भेजकर गोकुलवासियों को बचाया था वह पंचमी का दिन था इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे किसी को भी हानि न पहुंचाएं।
नाग देवता के दर्शन करना होता है शुभ
कहते हैं नागपंचमी पर नाग देवता के दर्शन करना बेहद शुभ होता है। लोग इस दिन भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना करते हैं। शिवालयों में उनका अभिषेक किया जाता है। इसके अलावा लोग अपने घर के दरवाज़े पर गोबर की सर्पाकृति बनाकर पूजा करते हैं और सापों को दूध पिलाते हैं।
नाग पंचमी व्रत और पूजन विधि
नाग पंचमी की पूजा में चतुर्थी के दिन केवल एक समय भोजन करें, उसके पश्चात पंचमी को पूरे दिन उपवास रखें। पूजा के लिए नाग देवता का चित्र, या फिर मिट्टी से बनी उनकी प्रतिमा का प्रयोग करें। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर नाग देवता की मूर्ति या चित्र स्थापित कर लें। फिर उन्हें हल्दी, रोली और अक्षत से टीका लगाएं। इसके बाद फूल चढ़ाएं। अब कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें। फिर धूप दीपक जलाकर नाग देवता की पूजा करें।अंत में नाग पंचमी की कथा सुने या पढ़ें। इस दिन किसी सपेरे को दान देना शुभ माना जाता है। साथ ही सापों को दूध पिलाने से भी इनका भय खत्म हो जाता है।
नाग पंचमी पर ॐ नमः शिवाय और महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए।

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