नॉर्वे में फिर आमने-सामने हुए रूस और अमेरिका

नॉर्वे में फिर आमने-सामने हुए रूस और अमेरिका

मॉस्को
अमेरिका और रूस अब यूरोप में अपनी बादशाहत को कायम करने को लेकर आमने-सामने हैं। नॉर्वे में अमेरिकी परमाणु बॉम्बर्स बी-1 की उपस्थिति से भड़का रूस बॉर्डर के पास कई खतरनाक मिसाइलों से लैस अपने जंगी जहाजों की तैनाती कर दिया है। 8 मार्च को जर्मनी में अमेरिका के रेमस्टीन एयरबेस से एक और बी-1 स्ट्रैटजिक बॉम्बर नॉर्वे पहुंचा है। यूएस एयरफोर्स के बी-1 बॉम्बर्स नाटो सदस्य देश नॉर्वे और स्वीडन के JAS-39 ग्रिपन लड़ाकू विमानों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं। जिसके बाद से रूस ने भी अपने उत्तरी बेड़े को इस इलाके में गश्त पर तैनात कर दिया है।

बैरंट सागर में बादशाहत को भिड़े अमेरिका और रूस
अमेरिका और रूस पहले से ही बाल्टिक सागर में बादशाहत को लेकर मरने मारने पर उतारू हैं। अब इस युद्ध के मैदान का विस्तार बैरंट सी तक हो गया है। रूस का मिसाइल क्रूजर मार्शल उस्तीनोव कई घातक मिसाइलों के साथ बैरंट सी में गश्त कर रहा है। इस युद्धपोत की तैनाती को इसलिए खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इसने अपने पारंपरिक रास्ते को छोड़कर नॉर्वे के साथ लगती रूस की जलीय सीमा के करीब पहुंच गया है।

पहले कभी रूस ने इतनी आक्रामक तैनाती नहीं की
नॉर्वे के ज्वाइंट हेडक्वार्टर के प्रवक्ता प्रवक्ता मेजर ब्रायनजर स्टोर्डल ने कहा कि हमने भी कभी ऐसा नहीं देखा है कि कई देशों के मछली पकड़ने वाले इस क्षेत्र में रूस ने कोई जंगी जहाज भेजा हो। नॉर्थ केप और बियर गैप के बीच के समुद्र में नार्वे, रूसी और यूरोपीय संघ के ट्रॉलर लगातार मछली पकड़ते हैं। यह पूरा इलाका मछलियों से भरा हुआ है, जिसके कारण हर देश के मछुआरे अपने ट्रॉलर्स के साथ इस इलाके में आते रहते हैं।

बेहद खतरनाक है मार्शल उस्तीनोव मिसाइल क्रूजर
मार्शल उस्तीनोव एक स्लाव-क्लास मिसाइल क्रूजर है, जो अकेले अपने दम पर तबाही मचा सकता है। मार्शल उस्तीनोव एयरक्राफ्ट कैरियर एडमिरल कुजनेत्सोव और परमाणु ऊर्जा से संचालित मिसाइल क्रूजर प्योत्र वेलिकी के बाद रूसी उत्तरी बेड़े का तीसरा सबसे बड़ा युद्धपोत है। इस क्षेत्र में रूस की महत्वपूर्ण उत्तरी फ्लीट तैनात रहती है। जिसमें घातक बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु पनडुब्बियां शामिल हैं। यह रूस पर परमाणु हमला होने की सूरत में सैकेंड स्ट्राइक करने की क्षमता रखती है। मतलब अगर रूस के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर किसी देश ने परमाणु हमला किया तो रूस भी जवाबी कार्रवाई के तौर पर इस क्षेत्र में तैनात उत्तरी फ्लीट की मदद से जवाबी हमला कर सकता है।