न्यायालय में नियुक्ति को दी गई चुनौती, 10 साल अनुभव वाले प्रोफ़ेसर को ही पात्रता

ग्वालियर
मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब कम अनुभव वाले प्रोफ़ेसर जुगाड़ से कुलपति नहीं बन पायेंगे। प्रदेश सरकार ने 8 साल बाद यूजीसी के कुलपति के लिए निर्धारित शैक्षणिक अनुभव वाले आदेश पर अमल किया है। नए आदेश के मुताबिक अब 10 साल का प्रोफेसर पद का अनुभव रखने वाले ही कुलपति पद के लिए पात्र होंगे।

प्रदेश में पिछले कुछ समय से विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर विवाद सामने आ रहे थे। आरोप लग रहे थे की इन नियुक्तियों में शैक्षणिक अनुभव का ध्यान नहीं रखा जा रहा और कम अनुभवी प्रोफ़ेसर जुगाड़ से कुलपति पद पर बैठ रहे है। इन्ही आरोपों के बीच बितिब10 मई को विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 94वी बैठक हुई जिसमें इस प्रकरण को रखा गया। चर्चा के बाद बैठक में ये फैसला लिया गया कि अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों में 10 साल से कम अनुभव वाले प्रोफ़ेसर कुलपति नहीं बन सकेंगे। समन्वय समिति ने इस फैसले को राजभवन भेजा जिस पर राजभवन ने अपनी मुहर लगा दी। राजभवन से हरी झंडी मिलने के बाद अब उच्च शिक्षा विभाग ने इस आशय के आदेश जारी कर दिए है।

उल्लेखनीय है कि यूजीसी ने कुलपति की नियुक्ति के सम्बन्ध में योग्यताएं भारत सरकार के राजपत्र में 2010 में प्रकाशित कर दी थी लेकिन मध्यप्रदेश सहित पूरे देश के विश्वविद्यालयों में इसे लेकर भ्रान्ति रही है कि यूजीसी द्वारा जारी निर्देशों को तत्काल लागू करना है या प्रदेश सरकार द्वारा इसे स्वीकार करने के बाद। बहरहाल मध्यप्रदेश सरकार ने इसे लागू कर दिया है।

कुलपति की नियुक्ति से जुड़े मामलों को न्यायालय में भी चुनौती दी गई है । उदाहरण के तौर पर ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय और राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलपतियों की नियुक्ति के मामले हाईकोर्ट में चल रहे है । विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स ने ही नियुक्ति को चुनौती दी है।

उच्च शिक्षा विभाग के OSD डॉ अजय प्रकाश खरे के मुताबिक विश्वविद्यालय समन्वय समिति में इस पर फैसला हो गया है। इस पर अमल के लिए विश्वविद्यालयों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं जिसपर सभी को गंभीरता से अमल करना होगा।