फव्वारे हुए बंद, कीचड़ के छींटे लगाकर श्रद्धालुओं ने किया शनिश्चरी स्नान, CM ने दिए जांच के आदेश

फव्वारे हुए बंद, कीचड़ के छींटे लगाकर श्रद्धालुओं ने किया शनिश्चरी स्नान, CM ने दिए जांच के आदेश

उज्जैन
शनिश्चरी अमावस्या पर महाकाल की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के सूखने से और इससे श्रद्धालुओं को स्नान में आई बाधा की घटना को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने मुख्य सचिव को उक्त पूरे मामले की जाँच कर तुरंत रिपोर्ट देने को कहा है।उन्होंने अधिकारियों से सख्त लहजे में कहा है  मेरी सरकार में धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ का कोई भी छोटा सा मामला भी में बर्दाश्त नहीं करूँगा। मकर सक्रांति व भविष्य में इस तरह की परिस्थिति दोबारा निर्मित न हो।

दरअसल, शनिवार को साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या थी और नर्मदा पूरी तरह से सूख चुकी थी,ऐसे में श्रद्धालुओं के नहाने के लिए प्रशासन ने फव्वारों से स्नान का इंतजाम किया था लेकिन ऐनवक्त पर ज्यादातर फव्वारे बंद हो गए। श्रद्धालुओं ने कीचड़ से सने पानी के शरीर पर छींटे डालकर अमावस स्नान की औपचारिकता पूरी की। इस पर श्रद्धालुओं का जमकर गुस्सा फूटा और उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि नई सरकार तो ठीक से स्नान भी नहीं करा पाई है। । कायदे से पीएचई को एक सप्ताह पहले नर्मदा से पानी मांगना था, ताकि चार दिन पानी शिप्रा नदी में त्रिवेणी घाट तक पहुंच जाता लेकिन अफसरों ने दो दिन पहले नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) से 160 एमसीएफटी पानी मांगा।एनवीडीए ने देवास के शिप्रा डेम से 80 एमसीएफटी पानी ही छोड़ा, जो शुक्रवार देरशाम तक त्रिवेणी से नौ किमी पहले पिठौदा बैराज तक ही आ पाया। जिसके बाद  अफसरों ने ताबड़-तोड़ दूसरे इंतजाम किए।

वहीं दूसरी ओर मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए है।उन्होंने कहा है कि जानकारी होने के बाद भी श्रद्धालुओं के  स्नान की माक़ूल व्यवस्था क्यों नहीं की गयी ? नर्मदा का पानी क्षिप्रा नदी में क्यों आ नहीं पाया ? इसके पीछे क्या कारण है ? किसकी लापरवाही है ? पूर्व से ही सारे इंतज़ाम क्यों नहीं किये गये ? पूरे मामले की जाँच हो ।लापरवाही सामने आने पर दोषियों पर कार्यवाही हो।मेरी सरकार में धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ का कोई भी छोटा सा मामला भी में बर्दाश्त नहीं करूँगा। मकर सक्रांति व भविष्य में इस तरह की परिस्थिति दोबारा निर्मित न हो।