फिर औंधे मुंह गिरे प्‍याज-लहसुन के भाव, मंडी में छोड़कर जा रहे किसान

फिर औंधे मुंह गिरे प्‍याज-लहसुन के भाव, मंडी में छोड़कर जा रहे किसान

नीमच 
प्याज़ और लहसून केे भाव एक बार फिर मालवा की मंडियों में औंधे मुंह गिर गए हैं. जिसकी बजह से प्याज और लहसून का किसानों को लागत मूल्य तो दूर मंडी तक लाने का किराया-भाड़ा भी नहीं मिल रहा है. प्रदेश की सबसे बड़ी सीमांत मंडी नीमच में रविवार को प्याज 50 पैसे किलो और लहसून 2 रूपए किलो के भाव बिकी. जिसके चलते किसान या तो अपनी फसल वापस लेकर जा रहे हैं या फिर मंडी में छोड़कर ही चले जा रहे हैं. इन किसानो का कहना है इस भाव में फसल बेंचने से अच्छा है कि मवेशियों को खिला दें.

नीमच जिले के गांव केलूखेड़ा से  इन्दरमल पाटीदार 15 क्विंटल प्याज लेकर नीमच मंडी आये थे. सोचा था प्याज बेचकर कुछ ज़रूरी सामान खरीदेंगे, लेकिन जब मंडी पहुंचे तो पता चला प्याज का भाव तो मात्र 50 पैसे किलो हो गया है. किसान इन्दरमल पाटीदार ने कहा मैं प्याज वापस अपने गांव ले जा रहा हुं, वहां मवेशियों को खिलाऊंगा. इन्दरमल पाटीदार उन्नत किसान है उनके पास अपना ट्रेक्टर भी है जिससे वो प्याज नीमच मंडी में लाये, लेकिन पड़ोसी राज्य राजस्थान के मरजीवी से आए किसान महेश कुमार का कहना है कि 'हम प्याज लेकर नीमच आ तो गए लेकिन अब भाव नहीं मिल रहा है, ऐसे में यह प्याज यहीं छोड़ कर जा रहा हूं, क्योकि वापस ले जाने का भाड़ा नहीं दे सकता.

गौरतलब है एक बीघा में प्याज लगाने में करीब 15 हज़ार रूपए का खर्च आता है और इस एक बीघा में लगभग 15 क्विंटल प्याज पैदा होती है. यदि आज के भाव से जोड़े तो किसान को मात्र 750 रूपए मिल पा रही है.  कृषि विभाग के आंकड़े कहते है कि वर्ष 2017 में 3400 हेक्टेयर में प्याज की बुवाई हुई थी, जबकि वर्ष 2018 में 3500 हेक्टेयर में नीमच जिले में प्याज बोई गयी है.

इसी तरह अगर लहसून की बात करें तो प्रदेश की सबसे बड़ी लहसून मंडी नीमच में आज लहसून का भाव मात्र 2 रूपए किलो था. बदनावर से आए किसान राजेश ने कहा 'हम कल से आये हुए हैं, लेकिन आज मंडी खुलने के बाद जो लहसून का भाव मिला उससे मायूसी हुई.  आने-जाने का खर्च भी नहीं निकलेगा. निम्बाहेड़ा राजस्थान से आए किसान श्यामलाल धाकड़ कहते हैं इस बार लहसून किसान बर्बाद हो गए हमारी लागत तक नहीं निकल रही है.


गौरतलब है वर्ष 2017 में नीमच जिले में 34500 हेक्टेयर में लहसून की बुवाई की गई थी, जबकि 2018 में 35,000 हेक्टेयर में लहसून की बुवाई हुई है. इस मामले में लहसून और प्याज व्यापारी कहते है आवक ज़यादा है इसलिए भाव कम हैं, क्योकि इस समय नीमच मंडी में लहसून और प्याज की 10-10 हज़ार बोरी आवक हो रही है.  मंडी सचिव संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि किसान बेहतर गुणवत्ता का माल लेकर मंडी में आएंगे तो उनको बेहतर दाम मिलेगा.