बुराड़ी कांड: घर से मिले 20 रजिस्टर, 2007 से लिखी जा रही थी 'मोक्ष' की कहानी

नई दिल्ली
बुराड़ी में रहस्यमय 11 सामूहिक मौतों को लेकर अब तक ‘कही- अनकही’ जैसी तमाम बातें सामने आ चुकी हैं। मिले सबूत और मेडिकल सांइस के नजरिए से पुलिस इसे सामूहिक आत्महत्या मान रही है। वहीं, परिवार इसे साजिशन सामूहिक हत्याकांड बता रहा है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि हकीकत क्या है।
उन उभरते सवालों के जवाब खोजते हुए NBT उस ‘रहस्यमय रजिस्टर’ तक जा पहुंचा जिसके बारे में दावा है कि सामूहिक मौत का राज इन पन्नों में छिपा है। क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो घर में मिले ऐसे डायरी व रजिस्टर एक नहीं बल्कि कई हैं।
27 मई 2013 से लिखा जा रहा रजिस्टर करीब 200 पेज से भरा पड़ा है। लिखावट और लहजे से समझा जा सकता है कि आखिर परिवार या उसका कोई एक सदस्य किस तरह मृत आत्मा की रूह का हर दिन अहसास करता था। उसी रूहानी ताकत के इशारे पर हर दिन ललित रजिस्टर में ऐसी रहस्यमय बातें लाइव लिखता था जिसे घरवाले मृत आत्मा का फरमान समझकर पालन करते थे। इन पन्नों को गौर से देखा-समझा जा सकता है कि आखिर ‘रूहानी तिलिस्म’ के जाल में परिवार के 11 लोग कैसे गहरे तक खिंचे चले गए।
क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की कई साल पहले मौत हो गई थी। वह भारतीय सेना में जवान रहे लेकिन घोड़े से गिर जाने से उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिसके चलते उन्होंने रिटायर होने से पहले वीआरएस ले लिया था। भोपाल दास का सबसे लाडला था ललित। 2007 में पिता की मौत हो गई। इसके बाद घर में कुछ अशांति पैदा हुई। मंगलवार को क्राइम ब्रांच को मिले एक और रजिस्टर से पता चला कि ललित अपने पिता की आत्मा से तभी से संपर्क में था। इसका दावा रजिस्टर के पन्नों में दर्ज है। इस बीच दुकान पर ललित का झगड़ा हुआ था। हमलावरों ने उसे दुकान के अंदर बंद करके बाहर से आग लगा दी थी। ललित की जान तो बच गई लेकिन दहशत में उसकी आवाज चली गई थी। इस घटना से ललित व परिवार पूरी तरह टूट गया। कई साल तक ललित की आवाज नहीं लौटी।