बुराड़ी कांड: ‘बचा लो’ जैसी आवाजें अफवाह या हकीकत!

नई दिल्ली 
क्या आधी रात होते ही घर के भीतर 11 लाशों की आत्माएं भटकती हैं? क्या वीरान पड़े घर के अंदर से ‘बचा लो’ जैसी चिल्लाती आवाजें आने लगी हैं? इस तरह की चर्चाएं अब संत नगर की गली नंबर-2 के आसपास जोर पकड़ती जा रही हैं। कहा जा सकता है कि जितने मुंह उतनी बातें। क्या ये सभी बातें महज अफवाह हैं या आत्माओं का वहम? आसपास रहने वाले लोगों में महिलाओं और खासकर बच्चों के दिलोदिमाग पर इसका खौफ साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है। रात होते ही लोग अपने आसपास अजीब से साए को महसूस करने लगते हैं। यही वजह है किराएदार दूसरी जगह शिफ्ट होने प्लान कर रहे हैं, तो कुछ मकान को किराए पर उठाने की बात कह रहे हैं। 
 

दरअसल, संत नगर की गली नंबर-2 में वीरान पड़े इस घर को फांसी घर.. मुर्दा घर.. हॉरर हाउस.. लाशों के घर.. जैसे न जाने कितने नामों से अब पुकारा जाने लगा है। मगर इस घर के आसपास रहने वालों की रात की नींद उड़ी हुई है। यहां तक कि घर के बाहर पहरा दे रहे पुलिसवाले रात के सन्नाटे में गली के नुक्कड़ पर बैठ जाते हैं।

डर ऐसा कि पुलिसकर्मी भी गायत्री मंत्र का जाप व जेब में हनुमान चालीसा की पुस्तक रखने लगे हैं। इस घर को पुलिस ने सील किया हुआ है। पुलिस की कस्टडी में यह घर है। कुछ ने दबी जुबान से स्वीकार किया कि जब दिन की ड्यूटी लगती है तो कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन अगर नाइट शिफ्ट लगे तो रूह कांप जाती है। वजह यह कि जब भी सूने पड़े अंधेरे घर में नजर जाती है अनजान-सा डर लगता है। मानो 11 लोगों की भटकती आत्माएं चिल्ला रही हों कि हमें बचा लो। कुछ यहां की लोकल महिलाओं से तरह-तरह की चर्चाएं सुनकर डर बैठ जाता है। 

 
लोगों का कहना है कि रात को लेटते वक्त अक्सर कानों में ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं मानो वे सभी लोग मुझसे कह रहे हों कि बचा लो। लाइटें जलाकर रहना पड़ता है। डर के साए में ऐसे ही बत्रा परिवार जी रहा है। बत्रा परिवार का घर ठीक उस गली के पीछे है, जहां यह घटना हुई। नवनीत बताते हैं कि पूरे परिवार को डर लगता है। हर वक्त दिमाग में यही घूमता रहता है कि जिन चेहरों को कल तक देखा वे सभी कैसे जाल से लटक गए...। 
 

नवनीत की माता जी और उनकी पत्नी भी इस घटना से बेहद सहमी हुई हैं। उनकी पत्नी की मानें तो इस घटना के बाद घर में लाइटें जली रहती हैं। मेरी बेटी रात में बार बार उठ जाती है। ऑटो और ई रिक्शा वाले भी जाने से कतराने लगे हैं। दरअसल कमलजीत की बेटी परिवार के बच्चों को जानती थी और इस हादसे के बाद इस वजह से उसे रात में डर लगता है। कुछ इसी तरह चरणजीत के परिवार का हाल है। हालत यह है कि कई बार जाग उठते हैं। गली- मोहल्ले में बस यही चर्चा चलती है। घरों में चले जाओ तो भी यही बातें है। रविवार के बाद इलाके के लोगों के लिए भी सब कुछ बदल गया है। शाम के वक़्त या अंधेरा होने के बाद इलाके के लोग भाटिया भवन के पास से गुजरने में डरने लगे हैं।