मालदीव: चीनी असर कम करने पर नजर, नए राष्ट्रपति को पीएम मोदी ने दिया मदद का भरोसा
माले
मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने शपथ लेने के साथ ही पिछली सरकार के वक्त हुई सरकारी खजाने की लूट और चीन की बढ़ती दखल पर चिंता जताई। इसपर शपथ ग्रहण में मौजूद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोलिह को भरोसा दिलाया कि भारत हर स्थिति में मालदीव के साथ खड़ा है। सोलिह का शपथ ग्रहण शनिवार को मालदीव के एक फुटबॉल ग्राउंड में हुए कार्यक्रम में हुआ था। इसमें पीएम मोदी को भी बुलाया गया था। वह वहां सबसे महत्वपूर्ण विदेशी अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे।
शपथ ग्रहण के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि पीएम ने मालदीव को उनकी आर्थिक परेशानियों से निकालने में मदद देने का भरोसा दिया है। फिलहाल मालदीव गंभीर वित्तीय संकट में फंसा हुआ है। इसका ही जिक्र सोलिह ने किया था। उन्होंने कहा था कि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में चीन से मिले भारी-भरकम कर्ज के बाद सरकारी खजाने को जमकर लूटा गया। इससे देश के सामने गंभीर वित्तीय संकट पैदा हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह पिछली सरकार के समय में चीन से हुई हर एक डील की समीक्षा करेंगे।
पीएम ने की बात
शपथ ग्रहण के बाद मोदी और सोलिह की बातचीत भी हुई। इसपर मोदी ने कहा कि मालदीव के नए राष्ट्रपति सोलिह के शासन में उन्हें हिंद महासागर के इस द्विपक्षीय राष्ट्र के साथ द्विपक्षीय संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद है। मोदी ने रणनीतिक महत्व रखने वाले इस देश को शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध देश बनने के सभी प्रयासों में हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया।
कैसी रही बातचीत
साझे बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान मोदी और सोलिह इस बात पर सहमत थे कि हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा बरकरार रखना अहम है और उन्हें क्षेत्र में स्थायित्व के लिए एक दूसरे की चिंताओं और अकांक्षाओं का ध्यान रखना होगा। भारत और मालदीव के बीच रिश्तों के लचीलेपन का जिक्र करते हुए दोनों नेताओं ने सहयोगी और मित्रवत रिश्तों को फिर से बहाल करने का भरोसा व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने क्षेत्र के अंदर और दूसरी जगहों पर भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
राष्ट्रपति सोलिह ने प्रधानमंत्री मोदी को देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी दी। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति सोलिह ने आवास और आधारभूत विकास के साथ ही पानी और अवजल प्रणाली की बढ़ती जरूरतों पर भी ध्यान आकर्षित किया। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कंपनियों के लिए मालदीव के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के विस्तारित अवसरों का भी स्वागत किया जिससे दोनों देशों को परस्पर फायदा होगा। दोनों देशों ने सरल वीजा प्रक्रिया की आवश्यकता पर भी बल दिया।
रिश्तों में आई थी खटास
भारत और मालदीव के संबंधों में यमीन के शासन के दौरान तनाव देखने को मिला था क्योंकि उन्हें चीन का करीबी माना जाता है। भारतीयों के लिए वर्किंग वीजा पर पाबंदी लगाने और चीन के साथ नए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी भारत खुश नहीं था। यमीन द्वारा इस साल पांच फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई थी। भारत ने इस फैसले की आलोचना करते हुए उनकी सरकार से लोकतंत्र और सियासी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को फिर से बहाल करने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की थी। मालदीव में 45 दिन तक आपातकाल रहा था।
बता दें कि विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सोलिह (54) 23 सितंबर को हुए चुनावों में सबको चौंकाते हुए विजेता बने। उन्होंने तब राष्ट्रपति रहे यमीन को हराया था। शनिवार को हुए कार्यक्रम में मोदी के अलावा श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग भी शामिल हुईं थी। मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम की बगल में बैठे थे। (भाषा से इनपुट के साथ)