शराब ठेकेदारों की याचिकाओं आज हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला

शराब ठेकेदारों की याचिकाओं आज हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला

जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा शराब ठेकेदारों की याचिकाओं पर 22 जुलाई को अपना फैसला सुनाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं व राज्य सरकार की बहस 29 जून को पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। ठेकेदारों ने कोरोना काल में शराब दुकानें लंबे समय तक बंद रहने के बावजूद सरकार की ओर से ठेकों की राशि कम न करने को चुनौती दी थी।

सुनवाई के दौरान शराब ठेकेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, संजय आरपी अग्रवाल व संजय वर्मा ने दलील दी कि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान करीब तीन माह राज्य की सभी शराब दुकानें बंद रही। इसके बावजूद राज्य सरकार ठेकेदारों की निविदा राशि को कम नहीं कर रहा है। यह अनुचित है। तर्क दिए गए कि बिना गारंटी राशि के ठेकेदारों को लाइसेंस जारी कर राज्य सरकार ने ही नियमों का उल्लंघन किया है। निविदा की परिस्थितियां बदल जाने पर निविदा की पूर्व निर्धारित शर्तें लागू नहीं की जा सकती। लिहाजा, शराब ठेकों की निविदा राशि कम की जाए। सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि लाइसेंस देते ही अनुबंध पूरा हो गया था। लिहाजा, ठेकेदारों को पुरानी निविदा दरों के हिसाब से ही सरकार को भुगतान करना होगा। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अभिवचन दिया गया था कि इन शराब दुकानों के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही नहीं की जाएगी।

मामला लंबित रहने के दौरान ही हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों के समक्ष शर्त रखी थी कि वे चाहें तो अपनी दुकान का ठेका सरेंडर कर सकते हैं। इस पर बहुत से शराब ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सरेंडर कर दी थी। सरकार का मुख्य तर्क यही था कि एक बार अनुबंध होने के बाद शराब ठेकेदार उस अनुबंध का पालन करने के लिए बाध्य है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव के अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी पक्ष रखा था।