शादी की उम्र के बिना भी लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं दो बालिग: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली 
देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि लड़का बालिग है और 21 साल से कम है तो भी वह बालिग लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि दो बालिग अगर शादी की उम्र में नही हैं तो भी वे चाहें तो अपनी मर्जी से शादी के बिना साथ जीवन जी सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधायिका भी लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देती है।


लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के कारण हाई कोर्ट ने लड़की के पिता की अर्जी मंजूर कर ली थी और लड़की को पिता की कस्टडी में भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने लड़के की अर्जी स्वीकार करते हुए केरल हाई कोर्ट के आदेश को खारिज़ कर दिया और कहा कि लड़की 18 साल से ज्यादा की बालिग लड़की है और वो अपनी मर्जी से जहां चाहे रह सकती है। लड़की ने कहा था कि वो अपनी मर्जी से लड़के के साथ रहना चाहती है। 

क्या है मामला 
अर्जी में कहा गया था कि राकेश और योगिता (दोनों का बदला हुआ नाम) की हिंदू रीति से 12 अप्रैल 2017 को शादी हुई। शादी के वक्त लड़की 19 साल और लड़का 20 साल का था। इसके बाद लड़की राकेश के साथ पत्नी के तौर पर रही। योगिता के पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दाखिल की। केरल हाई कोर्ट में हैबियस कोरपस लगाई। हाई कोर्ट ने कहा कि लड़के की उम्र शादी की नही है, जबकि लड़की की है। ऐसे में वो कानूनन पत्नी नहीं है। दोनों शादीशुदा हैं, इसके ठोस साक्ष्य नहीं पेश किए गए। हाई कोर्ट ने योगिता के पिता की अर्जी स्वीकार कर ली और लड़की को पिता की कस्टडी में भेज दिया। 

सुप्रीम कोर्ट में लड़के की दलील, बालिग को मर्जी से जीने का अधिकार 
राकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि योगिता 19 साल की बालिग है। वह जहाँ चाहे रह सकती है। राकेश 21 साल से कम भी है तो भी वो बालिग है और हिन्दू मैरेज एक्ट के तहत ये शादी शून्य यानी अवैध नहीं है बल्कि शून्य करार होने योग्य (वॉइडेबल) है। ऐसे में हाई कोर्ट का फैसला सही नही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज़ कर दिया साथ ही कहा कि पसंद करने का अधिकार मौलिक अधिकार है और लड़की बालिग है, वह अपने पसंद से जिसके साथ रहना चाहे रह सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि दोनों बालिग हैं। अगर शादी की उम्र में नही हैं (ये भी विवाद का विषय है) तो भी वे चाहें तो अपनी मर्जी से शादी के बिना साथ जीवन जी सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधायिका भी डीवी ऐक्ट में लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देता है।