संकट के समय मालदीव का सबसे पहला मददगार रहा भारत: अब्दुल्ला शाहिद

संकट के समय मालदीव का सबसे पहला मददगार रहा भारत: अब्दुल्ला शाहिद

नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र महासभा के निर्वाचित अध्यक्ष एवं मालदीव के वर्तमान विदेशमंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने अफगानिस्तान में जारी उथल पुथल के बीच बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान में जारी उथल पुथल के बीच आतंकवाद को एक अभिशाप बताया। भारत दौरे पर आए शाहिद ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आतंकवाद पर गंभीर रुख अपनाने की जरूरत है।

अफगानिस्तान में विदेशी सेनाओं के हटने और तालिबान के दोबारा ऊपर उठने से जो उथल पुथल है यह इसका सीधा उदाहरण है। हमें इस समस्या का हल निकालना होगा। उन्होंने कहा, आतंकवाद को परिभाषित करने में संयुक्त राष्ट्र ने थोड़ी देर कर दी है, लेकिन अब आशा है कि आतंकवाद को लेकर हम गंभीर रुख अपनाएंगे।

अब्दुल्ला ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में कई सुधार वांछित हैं। साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का हम समर्थन करते हैं। अध्यक्ष की भूमिका में यह मेरा दायित्व है कि सभी देशों को साथ लाया जाए।

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर शाहिद ने कहा, आतंकवाद का मुद्दा छठी समिति में है। इससे बाहर निकालने को लेकर गंभीर बातचीत जारी है। आशा है 76वें सत्र में कुछ सार्थक प्रगति होती है। इस मुद्दे पर हम भारत, श्रीलंका व अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिलकर गंभीरता से काम कर रहे हैं। इसके अलावा आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका समेत अन्य देशों के साथ भी बातचीत जारी है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद भारत यात्रा पर आए हुए हैं। भारत का पक्ष लेते हुए उन्होंने बृहस्पतिवार को बताया, मालदीव की जरूरत के समय भारत हमेशा सबसे पहले प्रतिक्रिया देता रहा है। यहां तक कि कोरोना संकट के दौरान भी भारत हमारी मदद करने में सबसे आगे रहा।

उन्होंने बताया, अगर आप वुहान से मालदीव के छात्रों की निकासी की बात करें, तो भारत ने छात्रों को वापस लाने में हमारी बहुत मदद की। भारत ने बजट समर्थन में हमारी सहायता की और उसने अपने राष्ट्रीय रोल-आउट के 48 घंटों के भीतर हमें टीके उपलब्ध कराए। भारत भौगोलिक रूप और कई अन्य तरीकों से मालदीव के बहुत करीब है।

चीन पर बोलते हुए उन्होंने कहा, हमें तुलना नहीं करनी चाहिए कि दूसरे देश हमारे लिए क्या करते हैं। भारत ने हमारे लिए जो किया है, हम उसका स्वागत करते हैं। हम अन्य देशों के साथ जुड़ना जारी रखेंगे, यही वर्तमान सरकार की नीति है। हम सब के दोस्त हैं और दुश्मन किसी के नहीं।