साधना के बिना जीवन व्यर्थ ,संतो का सानिध्य ही जीवन का असली सुख: साध्वी कृष्ण

साधना के बिना जीवन व्यर्थ ,संतो का सानिध्य ही जीवन का असली सुख: साध्वी कृष्ण

राणापुर
संत श्री आश्रम स्थित में एक दिवसीय गीता भागवत सत्संग आयोजन हुआ जिस में आशारामजी बापू के साध्वी कृष्ना बहन  ने बताया की एक दिवश्य सत्संग में ग्रामीणों को बापू ने हमे सत्संग में कहते है उसी बात को साध्वी के दोहराते हुई कहा की जीवन का वही समय सफल है जो सत्संग में बैढकर बिता ।संतो की ख़ुशी ही हमे भवसागर पार करती है।

संत निजमन से खुश हो तो वह जीवन का सानिंध्य  जीवन का असली सुख है।संतो के बताए मार्ग पर चलकर निस्वार्थ भाव से जो ईश्वर को भजता है उसका हमेशा कल्याण होता है बिना परमात्मा के कही भी रस नही है।परमात्मा ही रसरुवरूप है।उस वक्त श्री साध्वी कृष्णा दीदी के सानिध्य में ग्रामीण आदिवासी अंचल बड़ी संख्या में सत्संग श्रवण किया राणापुर स्थानीय संत श्री आसारामजी आश्रम पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू के मार्गदर्शन में दीपावली के निमित्त हर बार की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में  ग्रामीणजनों ने दोनों हाथ खड़े कर के लिया नचा मुक्ति का लिया संकल्प गरीब मंदो को आदिवासियों को आश्रम द्वारा कंबल खजूर मिठाई, जूते चप्पल कपड़े आदि  सामग्री वितरण किया अंत में भण्डार आयोजन हुआ ।

मधुर मधुर भजनो  से ग्रामीणों ने लिया आनंद
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा... सभी तुम पे लुटा बैठे जो होगा देखा जाएगातुम बिन ना कोई मेरा है, मेरा तो सब प्रभु तेरा है,दाता तुम ज्ञान के विधाता हो, भक्ति और शांति के दाता हो,तुम्हे दिल में बसा बैठे, जो होगा देखा जाएगालगन तुमसे.............मीरा भी प्रेम की दीवानी थी, एक हरि प्रेम की वो प्यासी थी,सदगुरु महिमा खूब गाती थी, कृष्ण से नैना मिलाती थी,गुरु में श्रद्धा बढा बैठे, जो होगा देखा जाएगा..लगन तुमसे...मेरी दुनिया में तुम आए हो, खुशियां ही खुशियां लाये हो,प्रीति की रीती सिखाए हो, एक हरि बनके तुम आए हो,धुनी दर पे रमा बैठे जो होगा देखा जाएगालगन तुमसे.....तेरा सदगुरु नाम सांचाहै, बाकी जगत झूठी माया है,माया के फंदे से छुड़ाया है, दुर्गुण के पथ से हटाया है,तुम्हे दिल में सजा बैठे, जो होगा देखा जाएगालग  तुमसे....सत्संग अमृत बरसाया है, जो आया गुरुद्वार वो नहाया हैतन मन को पवित्र बनाया है, जो आया दर पे हर्षाया हैतुम्ही रब हो समझ बैठे।