सावन का अंतिम सोमवार इस खास संयोग में हो रहा समाप्त
12 अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार है। इस साल सावन में कुल चार सोमवार पड़े हैं। इनमें पहला और दूसरा सावन सोमवार कई महत्वपूर्ण योगों के साथ आया। इसके साथ पहले और तीसरे सोमवार पर नागपंचमी का दुर्लभ संयोग भी बना। सावन का अंतिम सोमवार भी एक विशेष संयोग के साथ समाप्त हो रहा है। इस दिन त्रयोदशी तिथि होने से सोम प्रदोष व्रत का संयोग बना है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की पूजा, कथा और महत्व।
सावन सोमवार व्रत विधि
भगवान महादेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करना चाहिए और और तत्पश्चात् पार्श्वस्थ शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करके पूरे विधि विधान से शिवजी का पूजन, अर्चन और स्तवन करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल, धूप, सफेद चंदन आदि अर्पित करने चाहिए। प्रसाद में कोई फल या फिर मिठाई जरूर चढ़ाएं। इसके बाद रुद्राक्ष की माला के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। फिर शिव चालीसा का पाठ करके आरती करें। पूरा दिन निराहार रहकर केवल फलाहार करना चाहिए। यदि संभव हो तो व्रतधारी को यथाशक्ति दान भी अवश्य देना चाहिए। सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं शिवजी से जुड़े सभी व्रत तीन प्रहर तक ही किए जाते हैं। तीन प्रहर खत्म हो जाने के बाद शाकाहारी भोजन करना चाहिए। रात के समय शिव जागरण करके जमीन पर सोना चाहिए।
सावन सोमवार का महत्व
पुराणों में लिखा है कि जो भी भक्त सच्चे मन से विधि-विधान के साथ सावन के सोमवार का व्रत रखता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि सावन में भगवान शिव की भक्तों पर खास कृपा होती है। शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस माह में महादेव को प्रसन्न करने के लिए तमाम साधनाएं की जाती हैं, जिनसे प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों की सभी बाधाएं दूर करते हुए मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान शंकर की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद व्रत कथा सुननी चाहिए। साथ ही शिव मंत्रों का जप करना चाहिए। मान्यता है कि सावन मास के सोमवार व्रत करने से पूरे वर्ष के सभी सोमवार व्रतों का फल मिल जाता है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:59 बजे से 9:10 बजे के बीच का है। भगवान शिव के जलाभिषेक करने पर बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे।