सुरक्षा बल के अधिकारी बना रहे संगठन के टॉप मोस्ट माओवादियों की लिस्ट 

सुरक्षा बल के अधिकारी बना रहे संगठन के टॉप मोस्ट माओवादियों की लिस्ट 

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब नई सरकार से यह उम्मीद लगाई जा रही है कि तीन दशक से माओवाद का दंश झेल रहे बस्तर को इससे कब निजात मिलेगी. सत्ता परिवर्तन के बाद अब यही कयास लगाए जा रहे है कि माओवादियों से कैसे निपटा जाए और इसे कैसे इन्हे खत्म किया जाए. छत्तीसगढ़ में 15 साल से रही भाजपा सरकार माओवादियों के खात्मे के लिये कई योजना भी बनाई. लेकिन समय के माओवाद खत्म होने के बजाए बढ़ता रहा. अब सुरक्षा बल से जुड़े अधिकारी टॉप मोस्ट माओवादियो की लीस्ट बनाने में जुट गये है, जो सगंठन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे है. इनसे निपटने के लिए अब नए सिरे से प्लान तैयार किया जा रहा है.​

बता दें कि तीन दशक से छत्तीसगढ़ के लिए नासूर बने माओवादियों के खात्मे के लिए केन्द्र या राज्य सरकारे बंद कमरे में बैठक कर कई योजनाएं बनाते आई है. लेकिन बस्तर के कई इलाकों में आज भी ऐसे है जहां सरकार की पहुंच नहीं के बराबर है. विधानसभा चुनाव खत्म होते ही नई सरकार के आने के बाद यह माना जा रहा है कि माओवादी संगठन में सबसे मजबूत कड़ी उनके बड़े लीडर है, जो नक्सल संगठन को चलाने में बड़ी भूमिका निभाते है और बड़ी बड़ी घटनायें को करने के लिए खाका तैयार करते है. ऐसे में अब सुरक्षा बल के अधिकारी बड़े नक्सल संगठन के टॉप मोस्ट माओवादियों की लिस्ट बना रहे है, जो पूरी तरह कमजोर और बूढ़े हो गए है.

साउथ बस्तर रेंज के डीआईजी रतनलाल डांगी ने कहा कि 1980 के दशक में बस्तर पहुंचे माओवादी अब काफी उम्र दराज हो गए है. 1 दर्जन से भी ज्यादा माओवादी गंभीर बीमारी से ग्रसित है. उन्हे एक जगह से दूसरी जगह जाने में काफी परेशानी होती है. साथ ही उन्होने ये भी बताया कि माओवादी अपने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी भी देते है कि उनके बड़े लीडर जंगल में बीमारी के वजह से खत्म होते जा रहे है. अब सुरक्षा बल 1 दर्जन से भी ज्यादा बड़े माओवादियों की लीस्ट तैयार कर रही है जिन्हे अब सीधे टॉरगेट किया जाएगा.

वहीं सूत्रों के मुताबिक अब यह माना जा रहा है कि सगंठन को मजबूत करने और संगठन में नए लोगों की भर्ती करने का काम भी शुरु कर दिया गया है, लेकिन सुरक्षा से जुड़े अधिकारी और साउथ बस्तर रेंज के डीआईजी रतन लाल डांगी का कहना है कि फोर्स के दवाब के चलते ऐसी कोई भर्ती नहीं की जा रही है. अब 1 दर्जन से भी ज्यादा उम्र दराज माओवादियों की लिस्टिंग की जा रही है.