सुरक्षाबलों को चकमा देने को नक्सलियों ने खोजे नए पैंतरे, बनाया 'अग्निबाण'
नई दिल्ली
एक तरफ जहां सरकार नक्सलियों पर नकेल कसने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ नक्सली धीरे-धीरे नए हथियार विकसित कर रहे हैं। इनमें 'रैंबो ऐरो (तीर)' और जानवर के मल से लिपटे बम शामिल हैं। यह खुलासा गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है। नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले असली तीर स्टील के बने होते थे और यह एक हेलिकॉप्टर तक को गिरा सकते हैं, लेकिन अभी जिस तरह के तीर का इस्तेमाल किया जा रहा है उनमें विस्फोटक होते हैं। हालांकि, यह विस्फोटक ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला नहीं होता लेकिन इससे बहुत ज्यादा गर्मी और धुआं निकलता है जो कि सुरक्षा कर्मियों को चकमा देने के लिए काफी है।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है ,'तीर के ऊपरी हिस्से में बेहद कम ताकत वाला गनपाउडर या फायरक्रैकर पाउडर होता है जो अपने लक्ष्य से टकराते ही फट जाता है। यह ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन सुरक्षाबलों को चकमा देता है।'
कुछ अफसरों ने इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि माओवादी इन दिनों बड़ी संख्या में खतरनाक विस्फोटकों की जगह इन तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। बीते साल 24 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने इसी तकनीक से हमला किया था, जिसमें CRPF के 25 जवान शहीद हो गए थे और उनके हथियार भी लूट लिए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस खास तरह के तीर के अलावा माओवादियों ने पहले से बेहतर मोर्टार और रॉकेट भी विकसित कर लिए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि माओवादियों ने क्रूड बम को छिपाने का भी एक स्मार्ट तरीका खोज लिया है। अब इन बमों को जानवर के मल में छिपा दिया जाता है ताकि सुरक्षा टीमों के खोजी कुत्ते भी इसे सूंघ कर पता न लगा सकें।