हिंदू तीर्थ यात्रियों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है कुंभ मेला

हिंदू तीर्थ यात्रियों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है कुंभ मेला

प्रयागराज
कुंभ मेला हिंदू तीर्थ यात्रियों का एक बड़ा तीर्थ स्थान है, वो विश्वास का प्रतीक है। हिंदू लोग इस मेले में पवित्र जल में स्नान करते हैं। परम्परागत रुप से 4 कुंभ मेलाओं को हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है। जिनमें प्रयागराज कुंभ मेला, हरिद्वार कुंभ मेला,नासिक कुंभ मेला और उज्जैन कुंभ मेला शामिल हैं। यह चारों मेले रोटेशन के आधार पर एक स्थान पर होते हैं।वास्तव में कुंभ मेला 12 वर्ष के बाद लगता है, लेकिन 3-3 वर्षों के बाद प्रयागराज,हरिद्वार,नासिक और उज्जैन में कुंभ मेले आयोजित किए जाते हैं। बड़ा समारोह हरिद्वारा में गंगा के तट पर जहां गंगा,जमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है। इन नदियों में स्नान कर व्यक्ति अपने पापों को धो डालता है।
 किसी भी स्थान पर 12 वर्षों में एक बार कुंभ मेले का आयोजन होता है। हरिद्वार और नासिक में लगने वालों मेलों में 3 वर्ष का अंतर होता है। नासिक और उज्जैन में मेले उसी वर्ष या एक वर्ष बाद लगते हैं। इन मेलों की सही तिथि विक्रम संवत कैलेंड़र के अनुसार या ज्योतिष के सिध्दातों के अनुसार होती है।
 अन्य स्थानों के पुजारी भी दावा करते हैं कि उनके स्थानों को भी कुंभ कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर कुंभ में महामहिम समारोह 12 वर्ष में एक बार होता है और उसे भी कुंभ मेला कहा जाता है। यह मेले कब से शुरु हुए हैं, इनके सही वर्ष और सही तिथि का पता नहीं है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने अमृत की 4 बूंदे उस समय धरती पर गिराई थीं जब मंथन के दौरान निकले कुंभ को सही स्थान पर ले जा रहे थे। बता दें कि इन चारों स्थानों को मौजूदा समय में कुंभ मेला के स्थान के रुप में प्रचार किया गया है।
 कुंभ मेले का नाम कुंभ समारोह है। हिंदी में इस महाकुंभ कहा जाता है लेकिन वास्तव में इसका नाम कुंभ है। यह समारोह दुनिया में लोगों के विशाल शांतिपूर्ण जमावड़े का एक रुप होता है। इस मेले में दुनियाभर के धार्मिक तीर्थ यात्रियों का मठ होता है। मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या जानने का कोई ठोस तरीका नहीं है। स्नान करने वाले लोगों की संख्या और विशेष दिन पर वहां जमा होने वाले लोगों की संख्या अलग-अलग होती है।
 2013 में प्रयागराज में 2 महीने तक हुए कुंभ मेले में 12 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया था। मौजूदा प्रबंधक अधिकारियों का कहना है कि 2019 जनवरी में शुरु होने वाले मेले में 15 करोड़ तीर्थ यात्रियों के आने की संभावना है। बता दें कि प्रयागराज को पहले इलाहाबाद के रुप में जाना जाता था लेकिन अब इसका नाम प्रयागराज कर दिया गया है। मेले की तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है।