उज्जैन में प्रियंका का रोड-शो भी नहीं दिला सका कांग्रेस को जीत
उज्जैन
उज्जैन लोकसभा सीट भी बीजेपी के खाते में गयी है. यहां बीजेपी के अनिल फिरोजिया ने कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को 364976 मतों से हरा दिया. उ्ज्जैन वो इलाक था जहां कांग्रेस की स्टार कैंपेनर प्रियंका गांधी ने रोड-शो किया था. इस बार उज्जैन में 75.33 फीसदी वोटिंग हुई थी जो 2014 में हुई 66.56 फीसदी वोटिंग से 9 फीसदी ज़्यादा थी. बंपर वोटिंग ने बीजेपी को लाभ पहुंचाया.
अनिल फिरोजिया पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं. वो हाल ही में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में तराना सीट से महज 2208 वोटों से हारे थे. लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास जताया औऱ लोकसभा टिकट दिया. फिरोजिया इलाके का युवा चेहरा और मिलनसार व्यक्तित्व हैं. संघ के करीबी हैं.
हालांकि अनिल फिरोजिया के लिए लोकसभा चुनाव की राह आसान नहीं थी. ऊपर से पार्टी के पक्ष में कोई लहर नज़र नहीं आ रही थी. बल्कि बीजेपी के लिए एंटी इन्कम्बेंसी का माहौल दिखाई पड़ रहा था. ऊपर से विधानसभा चुनाव हारने के कारण उनकी छवि पर असर पड़ा था. पार्टी कैंडिडेट और संघ का हाथ उन पर था. वो खटीक समाज के हैं लेकिन संसदीय क्षेत्र में खटीक समाज के मतदाता ज़्यादा नहीं हैं.उनकी अपनी अलग कोई टीम नहीं थी और ग्रामीण इलाकों में ज़्यादा पकड़ नहीं थी. दूसरी बड़ी समस्या विधानसभा चुनाव के नतीजे थे. 8 विधानसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 3 पर जीती थी.
उज्जैन सीट के सियासी समीकरण ऐसे थे कि 2014 में बीजेपी के चिंतामणि मालवीय जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को हराया था. दोनों के बीच जीत का अंतर 3 लाख 9 हजार 663 वोट था. 8 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बनी इस सीट में उज्जैन ज़िले की 7 और रतलाम ज़िले की आलोट विधानसभा शामिल है. 2018 के विधानसभा चुनाव में नागदा, तराना, घटिया, बड़नगर, आलोट में कांग्रेस जीती थी और Bjp के पास महिदपुर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण है.
फिरोजिया के समर्थन में खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और नितिन गडकरी ने प्रचार किया था. मुकाबला कड़ा था. कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय के लिए पार्टी की स्टार कैंपेनर प्रियंका गांधी ने रोड-शो किया था. राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने वोट मांगे थेअनिल फिरोजिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती धार्मिक नगरी उज्जैन में विकास कार्यों की होगी. क्षिप्रा की स्वच्छता बनाए रखना एक मुद्दा हो सकता है. इलाके में उद्योग धंधों की बदहाली खासतौर से कपड़ा उद्योग को नयी ज़िंदगी देना एक चैलेंज रहेगा.