खून की होली खेल रही सेना ने ली पांच सौ लोगों की जान, म्यांमार में नरसंहार जारी
नई दिल्ली
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों में मरने वाले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की संख्या 500 से अधिक हो गई है। एक निगरानी समूह ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सत्ता के नशे में चूर सुरक्षा बलों के हाथों 14 अन्य लोगों की जान चली गई और असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) ने अभी तक देशव्यापी मौत का आंकड़ा 510 बताया है। एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अब लोग सड़कों पर कूड़ा फेंककर सविनय अवज्ञा आंदोलन कर रहे हैं।
म्यांमार में बिगड़ती स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर रही है। विशेष रूप से 27 मार्च को एक ही दिन में 110 लोगों की मौत के बाद चिंता काफी बढ़ गई है। यूरोपीय संघ ने इसे ‘आतंक का दिन’ करार दिया है। लोकतंत्र समर्थकों पर हालिया बड़ा अत्याचार यांगून के दक्षिण डगन टाउनशिप में देखने को मिला है। यहां अपने आंखों से खौफनाक मंजर देखने वाले लोगों का कहना है कि पिछले दो दिनों के दौरान इलाके में सेना ने एक विशेष मुहिम को अंजाम दिया है, जिससे पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया है।
कई रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया है कि जब प्रदर्शनकारियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो सेना ने उसमें भी दखल देने की कोशिश की और सेना ने ओपन फायरिंग के साथ ही ग्रेनेड्स भी फेंके थे। हालांकि इस दौरान किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। वही सेना के हिंसक एक्शन के बावजूद म्यांमार में प्रदर्शनकारियों का विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला थमा नहीं है।
थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को इस बात से इनकार कर दिया कि देश के सुरक्षा बलों ने म्यांमा में हवाई हमलों से बचकर आए गांववासियों को वापस भेज दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संघर्ष से बचकर आए किसी भी व्यक्ति को शरण देने के लिये तैयार है। एक दिन पहले मानवाधिकार समूहों ने कहा था कि थाईलैंड की सेना ने म्यांमा की सेना के सिलसिलेवार हवाई हमलों से बचकर आए हजारों लोगों को वापस भेजना शुरू कर दिया है।

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