श्रीमद्भागवद गीता को सिलेबस में शामिल करने की याचिका हाई कोर्ट में स्वीकार
बिलासपुर
छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाई कोर्ट ने श्रीमद्भागवद गीता को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में शामिल करने की जनहित याचिका को चीफ जस्टिस के डिवीजन बैंच ने स्वीकार कर लिया गया है. मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने कहा गया है, जिन्हें नोटिस जारी किया गया है, उनमें यूजीसी, मानव संसाधन और अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संगठन हैं.
बता दें कि तीन अलग-अलग संस्थाओं ने श्रीमद्भागवद गीता को स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रमो में शामिल करने जनहित याचिका बिलासपुर हाई कोर्ट में लगाई गई थी. इसमें अखिल भारतीय मलयाली संघ के सोमन के मेमन, वीर वीरांगना संस्था की चंद्रप्रभा समेत अन्य शामिल हैं. याचिका में कहा गया है कि श्रीमद्भागवद गीता एक ऐसा ग्रन्थ है, जिसमें मानव जीवन के सभी पहलुओं को विस्तार से बताया गया है. गीता में जन्म से लेकर मरण तक का उपदेश है.
प्रारंभिक सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कहा था कि संबंधित विभागों को आवश्यक पक्षकार बनाएं. बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता से पिछली सुनवाई में पूछा गया था कि यदि कुरान और बाईबिल को भी पाठ्यक्रमों में शामिल करने कि मांग उठेगी फिर क्या होगा? इस पर याचिककर्ताओं ने कहा कि कुरान और बाईबिल अलग धार्मिक ग्रन्थ है. जबकि श्रीमद्भागवद गीता मन की शक्ति को जागृत करने वाला है. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने श्रीमद्भागवत गीता के कुछ अंश भी सुनाए गए थे.