1,200 रिफ्यूजी परिवारों को 31 अक्टूबर तक जर्जर इमारतें खाली करने का आदेश

मुंबई 
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरु तेग बहादुर नगर की सदर कॉलोनी की जर्जर इमारतों में रहने वाले 1200 परिवारों को डेडलाइन जारी करके घर खाली करने का आदेश दिया है। इन 1200 परिवारों को अब हर हाल में 31 अक्टूबर तक घर खाली करने होंगे। इस परिवारों को भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय शरणार्थी के तौर पर यहां बसाया गया था।  

परिसर में 21 से 25 इमारते हैं। यहां रहने वाले परिवारों ने हाई कोर्ट में घर खाली करने के नोटिस के खिलाफ अपील दायर की थी। इस अपील पर जस्टिस अभय ओका और जस्टिस रियाज चांगला ने सुनवाई करते हुए अपील खारिज कर दी। इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इन परिवारों को एक महीने के अंदर कोर्ट में शपथपत्र दायर करके यह बताना होगा कि वे 31 अक्टूबर तक घर खाली कर देंगे। 

कोर्ट ने कहा कि लोग जर्जर इमारतों में अपने खतरे पर रह रहे हैं। अगर उन लोगों को कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी बृहनमुंबई महानगर पालिका की नहीं होगी। कोर्ट ने मुंबई के जिलाधिकारी को कहा कि यहां रहने वाले लोगों ने 2014 में जो प्रार्थनापत्र दिया था, उसके आधार पर इमारतों की मरम्मत कराई जाए। 

विजय पंजाब हाउसिंग सोसायटी के काउंसल वकील आनंद जंधोले ने कोर्ट से कहा कि इमारतों में रहने वाले लोगों को अगले शैक्षिक सत्र तक का समय दिया जाए, उसके बाद ये लोग घर खाली कर देंगे। लोगों के बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। बीच शैक्षिक सत्र में उनके बच्चों को कहीं और प्रवेश नहीं मिलेगा लेकिन कोर्ट ने उनकी यह दलील खारिज कर दी। 

ये इमारतें 1950 में बनाई गई थीं। जिस जमीन पर इमारतें बनी हैं वह प्रदेश सरकार की है। इसमें उन लोगों को बसाया गया था जो 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय वेस्ट पाकिस्तान और मुंबई के रहने वाले थे।

तकनीकी सलाह के बाद बीएमसी ने 7 मई को इन इमारतों को गिराने का नोटिस दिया था। इन इमारतों में 6000 लोग रह रहे हैं। बीएमसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि ये इमारतें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं और किसी भी समय गिर सकती हैं। हालांकि, 25 इमारतों में से कोर्ट ने चार इमारतों का फिर से निरीक्षण करने का आदेश दिया है।