20 साल बाद शनिश्चरी अमावस्या, जानें पितरों के तर्पण का क्या है शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली
हिंदू धर्म में श्राद्ध के दौरान पितरों की पूजा करने का विदान है। इस समय लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं। इस बार श्राद्ध यानी पितृ पक्ष 28 सितंबर, शनिवार के दिन समाप्त हो रहे हैं। शनिवार के दिन सर्वपितृ अमावस्या पड़ने से इस दिन का महत्व कई ज्यादा बढ़ गया है। खास बात यह है कि लगभग 20 साल बाद आज के दिन सर्वपितृ अमावस्या और शनि अमावस्या मिलकर एक खास संयोग बना रहे हैं। इससे पहले साल 1999 में इस तरह का संयोग बना था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस संयोग में पितरों की विदाई करने से उनके वंशजों को सौभाग्यकी प्राप्ति होती है।
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व-
सर्वपितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि उनके परिवार के लोगों को याद नहीं होती है। इसके अलावा वो पितर जिनके बारे में व्यक्ति को पता नहीं होता उनके निमित्त आज कर्मकांड किया जाता है। माना जाता है कि पितृ विसर्जनी अमावस्या पर 16 दिनों से धरती पर विराजमान पितृ यमलोक के लिए प्रस्थान करते हैं।
पितृ मोक्ष अमावस्या श्राद्ध तिथि और मुहूर्त-
-अमावस्या श्राद्ध 28 सितम्बर 2019, दिन शनिवार को
-कुतुप मूहूर्त : सुबह 11:25 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक
-रौहिण मूहूर्त : दोपहर 12:12 बजे से 01:00 बजे तक
-अपराह्न काल : दोपहर 01:00 बजे से 03:22 बजे तक
-अमावस्या तिथि प्रारम्भ 28 सितम्बर, 2019 को तड़के 03:46 बजे से
-अमावस्या तिथि समाप्त रात 11:56 बजे तक
दान का महत्व-
ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या कि दिन यदि आप दान करें तो अमोघ फल होता है। साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है। कुंडली का राहु ही आपको पितरों के बारे में बताता है।