2011 वर्ल्ड फाइनल को लेकर छलका श्रीलंका के सीनियर क्रिकेटर एंजलो मैथ्यूज का दर्द, बोले- हमने 20-30 रन कम बनाए थे

2011 वर्ल्ड फाइनल को लेकर छलका श्रीलंका के सीनियर क्रिकेटर एंजलो मैथ्यूज का दर्द, बोले- हमने 20-30 रन कम बनाए थे

नई दिल्ली
2011 वर्ल्ड कप फाइनल मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था। भारत ने 10 गेंद शेष रहते मैच छह विकेट से अपने नाम किया था। टॉस के समय कुछ कनफ्यूजन हुआ था और अंत में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। महेला जयवर्धने की सेंचुरी के दम पर श्रीलंका ने छह विकेट पर 274 रन बनाए। उस समय टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विनिंग छक्का जड़ा था। इस मैच को लेकर श्रीलंका के सीनियर क्रिकेटर एंजेलो मैथ्यूज ने कुछ बातें कही हैं। मैथ्यूज के मुताबिक उस मैच में अगर श्रीलंका ने 20-30 रन और बना लिए होते, तो मैच का नतीजा कुछ और हो सकता था।

वीरेंद्र सहवाग पहले ही ओवर में आउट हो गए थे, जबकि सचिन तेंदुलकर भी लंबी पारी नहीं खेल सके थे। विराट कोहली और गौतम गंभीर ने मिलकर एक साझेदारी निभाइई, लेकिन फिर विराट भी आउट हो गए। इसके बाद धोनी ने बैटिंग ऑर्डर में खुद को युवराज सिंह से ऊपर भेजा। गंभीर सेंचुरी से चूके लेकिन धोनी डटे रहे और नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का जड़ टीम इंडिया को वो ऐतिहासिक जीत दिलाई। यूट्यूब पर क्रिकेट अनप्लग्ड शो में एंजेलो मैथ्यूज ने इंटरव्यू के दौरान इस मैच को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, 'वो मेरा पहला 50 ओवर वर्ल्ड कप मैच था, 2009 और 2010 में मैं टी20 वर्ल्ड कप खेल चुका था। 2011 बहुत खास था, क्योंकि हम अपने जैसी कंडीशन में खेल रहे थे। फाइनल तक पहुंचने के लिए हमने शानदार क्रिकेट खेला था। दुर्भाग्य से मैं चोटिल हो गया था और वो मेरे जीवन का सबसे निराशाजनक मौका था। सेमीफाइनल जीतने के बाद मुझे फाइनल मैच में खेलने का बेसब्री से इंतजार था।'

'चोटिल होने के नाते नहीं खेल सका था फाइनल मैच'
उन्होंने आगे कहा, 'चोटिल होने के बाद मैं ढंग से दो सप्ताह तक चल भी नहीं पा रहा था और डॉक्टरों ने मना कर दिया था कि मैं नहीं खेल सकता हूं। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि बावजूद इसके मुझे टीम के साथ रखा गया और देखा गया कि मैं खेल सकता हूं या नहीं, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।' फाइनल मैच को याद करते हुए मैथ्यूज ने कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि अगर हमने 320 रन बना लिए होते तो हम भारत के मजबूत बैटिंग लाइन-अप को कड़ी चुनौती दे सकते थे। भारतीय विकेट एकदम फ्लैट हैं, अगर बल्लेबाज लय में है तो उसे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। भारत का बैटिंग लाइनअप बहुत मजबूत था। वानखेड़े बहुत बड़ा स्टेडियम नहीं है और पिच भी काफी अच्छी थी।'

'हमने 20-30 रन कम बनाए'
उन्होंने आगे कहा, 'हम करीब 20-30 रन कम बना पाए थे, हमारे पास हमारे मौके थे, लेकिन गंभीर और विराट ने बहुत अच्छी बैटिंग की और फिर महेंद्र सिंह धोनी आए और मैच को जबर्दस्त तरीके से फिनिश किया। कुल मिलाकर यह एक अच्छा मैच था।'  महेंद्र सिंह धोनी ने फाइनल मैच में नॉटआउट 91 रन बनाए थे। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था। धोनी ने 79 गेंद पर यह पारी खेली थी और इस दौरान आठ चौके और दो छक्के लगाए। वहीं गंभीर 122 गेंद पर 97 रन बनाकर आउट हुए थे।