2019: कांग्रेस-सीपीएम में लोकसभा सीटों पर समझौते को लेकर फंसा पेच
कोलकाता
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और सीपीएम में सीटों के बंटवारे को लेकर अब तक बात नहीं बन पाई है। बंगाल कांग्रेस ने साफ कहा है कि वह आम चुनाव में अकेले ही ताल ठोकने को तैयार है, अगर लेफ्ट फ्रंट रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ता है। हालांकि, सीपीएम को अब भी भरोसा है कि दोनों दलों के बीच गतिरोध खत्म होगा और जरूर कोई न बीच का रास्ता निकल आएगा।
दरअसल, सीपीएम ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम मोर्चे के कब्जे वाली छह सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव में ‘एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने’ की बात सोमवार को कही। सीपीएम के इस प्रस्ताव से यह संकेत मिलता है कि वह बीजेपी विरोधी वोटों को मजबूत करने के लिए राज्य में दो राजनीतिक खेमों में एक समझ कायम करना चाहती है।
8 मार्च को लेफ्ट फ्रंट लेगा फैसला
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में केंद्रीय समिति ने निर्णय लिया था कि बीजेपी विरोधी, तृणमूल कांग्रेस विरोधी वोट बंटने न देने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) उचित तरीके अपनाएगी। इसके अनुसार, सीपीएम ने लोकसभा की मौजूदा छह सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने का प्रस्ताव दिया है। इन सीटों पर कांग्रेस और वाम मोर्चे का कब्जा है। बाकी सीटों के लिए बंगाल में वाम मोर्चा 8 मार्च को फैसला लेगा।’
सीपीएम के इस फैसले पर कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी रायगंज और मुर्शिदाबाद सीटों पर कतई समझौता नहीं करेगी। इस बीच बंगाल में कांग्रेस नेतृत्व ने साफ कहा है कि अगर वाम मोर्चा रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ता है तो वह अकेले ही सियासी मैदान में उतर सकती है। ये दोनों सीटें कांग्रेस की गढ़ मानी जाती हैं। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबले में सीपीएम ने रायगंज और मुर्शिदाबाद सीटें जीत ली थीं।
इधर, सीपीएम नेताओं का कहना है कि बिमान बोस (लेफ्ट फ्रंट के चेयरमैन) पहले ही मोहम्मद सलीम का नाम रायगंज से ऐलान कर चुके हैं। दोनों दलों के गठजोड़ के बीच नया पेच यह फंस गया है कि कांग्रेस विधायक नेपाल महतो पुरुलिया से लड़ना चाहते हैं, जहां लेफ्ट की सहयोगी पार्टी फॉरवार्ड ब्लॉक भी लड़ना चाहती है।
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