28 की उम्र में दुष्यंत चौटाला बने थे MP, अब दादा की सियासत को दे रहे टक्कर

28 की उम्र में दुष्यंत चौटाला बने थे MP, अब दादा की सियासत को दे रहे टक्कर

 
नई दिल्ली
        
दुष्यंत सिंह चौटाला देश में अब तक के सबसे कम उम्र में सांसद बनने वाले भारतीय हैं.  इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए, वे 16वीं लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई को 31,847 वोटों से हराकर हिसार निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य बने.

दुष्यंत चौटाला का जन्म 3 अप्रैल, 1988 को हरियाणा के हिसार जिले के प्रेम नगर में हुआ था. उनके पिता डॉक्टर अजय चौटाला आईएनएलडी के महासचिव हैं और मां नैना सिंह हैं. उनके दादा ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति रह चुके हैं और परदादा चौधरी देवीलाल पूर्व उपप्रधानमंत्री थे. उनके छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला (राष्ट्रीय अध्यक्ष, INSO इनसो) हैं. दुष्यंत ने 18 अप्रैल 2017 को मेघना अहलावत से शादी की.

दुष्यंत ने शुरुआती पढ़ाई हिसार से ही हुई. उसके बाद हिमाचल प्रदेश के सनावर स्थित द लॉरेंस स्कूल से सीनियर सेकेंडरी पास की और उच्च शिक्षा के लिए वे विदेश चले गए. उन्होंने कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ साइंस में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री हासिल की.

उनकी खेलों में गहरी रुचि है. स्कूली दिनों में उन्होंने मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता. वे स्कूल बास्केटबॉल टीम के कप्तान और स्कूल हॉकी टीम के गोलकीपर भी रहे.

2009 में, उनके पिता डॉक्टर अजय चौटाला के हरियाणा के भिवानी महेंद्रगढ़  से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद दुष्यंत ने महेंद्रगढ़, डबवाली और उचाना की कमान संभाली. नतीजतन इनेलो के तीनों उम्मीदवारों ने इन सीटों से जीत दर्ज की.

पूरे प्रदेश में मोदी लहर के बावजूद हिसार सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी की पकड़ ढीली पड़ गई थी. इस सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के दुष्यंत चौटाला ने महज 28 साल की उम्र में हरियाणा जनहित कांग्रेस (HJC BL)के कुलदीप बिश्नोई को हराया था. इसमें चौटाला को कुल 4,94,478 वोट मिले थे, जबकि बिश्नोई को 4,62,631 वोट मिले थे. इस तरह युवा दुष्यंत चौटाला ने हिसार लोकसभा क्षेत्र से 31,847 वोट से जीत हासिल की थी. 2014 में INLD को हरियाणा में हिसार और सिरसा लोकसभा सीट से संतोष करना पड़ा था.

हालांकि, मौजूद वक्त में INLD में दोफाड़ हो चुका है. INLD पर अब अजय सिंह चौटाला के छोटे भाई अभय चौटाला का कब्जा है, तो दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता अजय सिंह चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला के साथ मिलकर 9 दिसंबर 2018 को जननायक जनता पार्टी (JJP) नाम से नई पार्टी खड़ी कर दी है.

दरअसल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अपने दोनों पोतों सांसद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला को इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से निकाल दिया है. दोनों पर 7 अक्टूबर 2018 को देवीलाल के जन्म दिवस उत्सव के दौरान गोहाना रैली में अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ नारेबाजी कराने के आरोप लगे थे. बाद में अजय चौटाला को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बता दें कि चौधरी देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं. बड़े बेटे अजय चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा काट रहे हैं.   अजय चौटाला के दो बेटे हैं. बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला हिसार से सांसद हैं. वहीं, छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला इनेलो के यूथ विंग इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.  अजय चौटाला की पत्नी नैना डबवाली हल्के से विधायक हैं. अभय चौटाला के भी दो बेटे हैं. बड़े बेटे कर्ण सिरसा जिला परिषद में डिप्टी चेयरमैन हैं.  

16 जनवरी 2013 से चौटाला हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने एक बार पूरे राज्य में युवा सम्मेलनों का आयोजन किया. इसके बाद से ही वे युवाओं के बीच खासे लोकप्र‍िय हो गए. रोहतक के श्री छोटू राम स्टेडियम में, उन्होंने 1 दिसंबर 2013 को INSO (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन) की मदद करते हुए महज 8 घंटे में 10450 नेत्र दान के साथ अधिकतम अंगदान किए जाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में सहयोग दिया. उन्हें लोगों से जुड़ने सोशल मीडिया पर फेसबुक के जरिये भारतीय राष्ट्रीय लोकदल का प्रचार-प्रसार किया.

युवा दुष्यंत चौटाला संसद में पूरे कार्यकाल के दौरान सक्रिय दिखे. उन्होंने संसद में 191 डिबेट के दौरान हिस्सा लिया. जबकि वो 17 बार प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे. चौटाला की संसद में सक्रियता इस बात से देखी जा सकती है कि उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में कुल 582 सवाल पूछ डाले. वहीं दुष्यंत ने अपने सांसद निधि कोष का करीब 80 फीसद फंड का इस्तेमाल कर चुके हैं.  

दुष्यंत सिंह चौटाला ने एचसीएस भर्ती घोटाले का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. उन्होंने थर्मल पावर प्लांट घोटाले, बिजली खरीद घोटाले, पिलर बॉक्स घोटाले और ट्रांसफार्मर घोटाले को उजागर करने में भी मदद की. वे 1 सितंबर 2014 से 14 दिसंबर 2016 तक शहरी विकास पर स्थायी समिति के सदस्य रहे हैं.