500 बॉक्स सीरप मुंबई से उज्जैन पहुंचा, 6 दिन बाद एक्सपायरी डेट, RPF जांच में जुटी

500 बॉक्स सीरप मुंबई से उज्जैन पहुंचा, 6 दिन बाद एक्सपायरी डेट, RPF जांच में जुटी

उज्जैन
अवंतिका एक्सप्रेस से शनिवार सुबह 500 बॉक्स में मल्टी विटामिन व कैल्शियम सीरप की बॉटल मिलने से सनसनी फैल गई। सीरप मुंबई से उज्जैन के लिए कलेक्टर आगर के नाम से बुक किया गया था। इसे सड़क मार्ग से आगर भेजा जाना था। खास बात यह है कि सीरप छह दिन बार एक्सपायरी होने वाला है। सूचना मिलते ही आरपीएफ, एसएसटी, जीआरपी व देवासगेट पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि आरपीएफ का कहना है कि रेलवे के नियमानुसार दो दिन तक दवा लेने आने वाले का इंतजार किया जाएगा। इसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है।

आरपीएफ टीआई हर्ष चौहान ने बताया कि शनिवार सुबह मुंबई से उज्जैन आने वाली अवंतिका एक्सप्रेस से 500 कार्टून उतारे गए। जिनमें कैल्शियम व विटामीन डी 3 की 100 एमएल की बोतलें भरी हुई थी। दवा मुंबई की 'डॉक्टर एडवीन लैब" द्वारा बनाई गई है। इसकी पैकेजिंग जून 2017 है और एक्सपायरी नवंबर 2018 लिखी हुई है। छह दिन बाद दवा एक्सपायर होने वाली है। जिसका कोई उपयोग नहीं हो सकता। इस कारण इसको लेकर संदेह हुआ था। इस पर दवा बुक करवाने वाले एजेंट से जानकारी मांगी गई है। दो दिन में वह जानकारी उज्जैन भेज देगा। इसके अलावा ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता, जीआरपी व देवासगेट पुलिस को भी जानकारी दी गई है। रेलवे के नियमानुसार दो दिन तक दवा लेने आने वाले व्यक्ति का इंतजार किया जाएगा। इसके बाद ही कुछ कार्रवाई की जा सकती है।

कलेक्टर आगर के नाम पर हुई बुक

टीआई चौहान के अनुसार मुंबई से दवा को उज्जैन भेजा गया है। इसे कलेक्टर आगर के नाम से बुक किया गया है। दवा उज्जैन उतारने के बाद सड़क मार्ग से आगर भेजी जानी थी। मामला सामने आने से पहले एक व्यक्ति द्वारा इसे 7 हाथ ठेलों में इसे भरवाकर कहीं भेजा जाना था, मगर हंगामा बढ़ता देख वह व्यक्ति भी गायब हो गया। उसकी तलाश की जा रही है।

मामला संदेहास्पद


ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता के अनुसार विटामीन डी 3 की सीरप प्रतिबंधित नहीं है। हालांकि जिस कंपनी की यह सीरप है, उससे भोपाल कॉर्पोरेशन दवा खरीदी नहीं करता है। इसके अलावा छह दिन बाद जब दवा एक्सपायर होने वाली थी तो इसे क्यों भेजा गया, यह भी संदेहास्पद है। क्योंकि कंपनी दवा निर्माण व दवा के एक्स्पायरी होने पर उसे नष्ट करने का अधिकार रखती है। वहीं कलेक्टर आगर के नाम से भी दवा बुक होना संदेह को जन्म दे रहा है, क्योंकि दवाओं की खरीदी सीएमएचओ द्वारा की जाती है। एक्सपायर होने पर दवा कंपनी को वापस कर दी जाती है। फिलहाल आरपीएफ अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार अभी यह रेलवे की संपत्ति है। दो दिन तक कोई लेने नहीं आया तो इसे ड्रग इंस्पेक्टर अथवा जीआरपी को सौंप दिया जाएगा।