6 माह में 500 अफसरों के ट्रांसफर कर भत्ते पर ही 30 करोड़ रु. खर्च

6 माह में 500 अफसरों के ट्रांसफर कर भत्ते पर ही    30 करोड़ रु. खर्च

इंदौर
 नई सरकार के आने के बाद आईएएस, आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर से सरकारी खजाने को करीब 30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अकेले ट्रांसफर ग्रांट के रूप में ही लगभग 6-7 करोड़ का भुगतान अधिकारियों को करना है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को हर ट्रांसफर पर वेतन का 80% ट्रांसफर ग्रांट के रूप में मिलता है।

नई सरकार आने के बाद दो से तीन बार ट्रांसफर झेल चुके कई अधिकारी ऐसे भी हैं, जिन्हें दूसरे भत्तों के अलावा 3 से 5 लाख रुपए सिर्फ ट्रांसफर ग्रांट के रूप में मिले हैं। प्रशासनिक और पुलिस सेवा के नए अधिकारियों को छोड़ दें तो ज्यादातर का वेतन 1.25 लाख से 2 लाख के बीच है। मूल वेतन के 80% के हिसाब से जोड़े तो हर ट्रांसफर पर अधिकारी 1 से डेढ़ लाख रुपए की ट्रांसफर ग्रांट के हकदार हो जाते हैं।     


ट्रांसफर ग्रांट के अलावा इन्हें 50 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से घरेलू समान के परिवहन का भत्ता भी मिलता है। औसतन 500 किलोमीटर के हिसाब से भी गणना करें तो सरकार को सिर्फ परिवहन भत्ते के रूप में लगभग 2 करोड़ का भुगतान इन अधिकारियों को करना होगा। इसके अलावा इन्हें और परिजनों को  प्रथम श्रेणी के किराए के रूप में भी एक करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना होगा। सरकार यदि जल्दबाजी में एक ही अधिकारी के बार-बार तबादले और संशोधन करने के बजाय एक बार में नई पदस्थापना करती तो ट्रांसफर ग्रांट, सामान परिवहन, सवैतनिक छुट्टियों के रूप में करोड़ों रुपए के भार से बच सकती थी।

कई को दो से 4 बार मिली ट्रांसफर ग्रांट : कुछ आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को पहले जब जिलों से हटाकर पीएचक्यू या वल्लभ भवन भोपाल पदस्थ किया गया, तब वे एक बार की ग्रांट के हकदार हो गए। बाद में भोपाल से जिलों में या दूसरी जगहों पर पोस्टिंग की गई तो दूसरी ग्रांट के हकदार हो गए। कई अफसर ऐसे भी हैं जो तीन-चार बार ट्रांसफर के कारण ग्रांट के अधिकारी हो गए।


 नई सरकार के आने के बाद आईएएस, आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर से सरकारी खजाने को करीब 30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अकेले ट्रांसफर ग्रांट के रूप में ही लगभग 6-7 करोड़ का भुगतान अधिकारियों को करना है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को हर ट्रांसफर पर वेतन का 80% ट्रांसफर ग्रांट के रूप में मिलता है।

नई सरकार आने के बाद दो से तीन बार ट्रांसफर झेल चुके कई अधिकारी ऐसे भी हैं, जिन्हें दूसरे भत्तों के अलावा 3 से 5 लाख रुपए सिर्फ ट्रांसफर ग्रांट के रूप में मिले हैं। प्रशासनिक और पुलिस सेवा के नए अधिकारियों को छोड़ दें तो ज्यादातर का वेतन 1.25 लाख से 2 लाख के बीच है। मूल वेतन के 80% के हिसाब से जोड़े तो हर ट्रांसफर पर अधिकारी 1 से डेढ़ लाख रुपए की ट्रांसफर ग्रांट के हकदार हो जाते हैं।     


ट्रांसफर ग्रांट के अलावा इन्हें 50 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से घरेलू समान के परिवहन का भत्ता भी मिलता है। औसतन 500 किलोमीटर के हिसाब से भी गणना करें तो सरकार को सिर्फ परिवहन भत्ते के रूप में लगभग 2 करोड़ का भुगतान इन अधिकारियों को करना होगा। इसके अलावा इन्हें और परिजनों को  प्रथम श्रेणी के किराए के रूप में भी एक करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना होगा। सरकार यदि जल्दबाजी में एक ही अधिकारी के बार-बार तबादले और संशोधन करने के बजाय एक बार में नई पदस्थापना करती तो ट्रांसफर ग्रांट, सामान परिवहन, सवैतनिक छुट्टियों के रूप में करोड़ों रुपए के भार से बच सकती थी।

कई को दो से 4 बार मिली ट्रांसफर ग्रांट : कुछ आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को पहले जब जिलों से हटाकर पीएचक्यू या वल्लभ भवन भोपाल पदस्थ किया गया, तब वे एक बार की ग्रांट के हकदार हो गए। बाद में भोपाल से जिलों में या दूसरी जगहों पर पोस्टिंग की गई तो दूसरी ग्रांट के हकदार हो गए। कई अफसर ऐसे भी हैं जो तीन-चार बार ट्रांसफर के कारण ग्रांट के अधिकारी हो गए।