71 साल बाद कुंभ में बन रहा ऐसा संयोग, ज्योतिषी बता रहे यह महत्व

71 साल बाद कुंभ में बन रहा ऐसा संयोग, ज्योतिषी बता रहे यह महत्व


प्रयाग कुंभ मेला 2019 जिसका आरंभ 14 जनवरी से हो रहा है। इसमें करोड़ों लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बार का कुंभ कई मायनों में खास माना जा रहा है। ज्योतिषशास्त्री भी कुंभ को लेकर कई तरह की बातें कह रहे हैं जिनमें एक सबसे खास बात है कुंभ के दौरान बनने वाला ‘महोदय योग’। ज्योतिषशास्त्री बता रहे हैं कि करीब 71 साल बाद कुंभ के अवसर पर ऐसा दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। आइए जानें क्या है इस योग का महत्व।

कब बनता है महोदय योग?
चार फरवरी सोमवार को माघ महीने की अमावस्या तिथि है। इसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र, व्यतिपात योग, सर्वार्थसिद्धि योग और सोमवार होने से ‘महोदय योग’ बन रहा है। इसलिए कुंभ के दौरान दूसरा शाही स्नान का दिन सबसे उत्तम माना जा रहा है। शास्त्रों के नियमानुसार कुंभ आरंभ होने की मूल तिथि भी यही है।

महोदय योग का महत्व जानें
धार्मिक विषयों के जानकारों के अनुसार, इस योग में संगम तट पर स्नान करने, पूजा-पाठ करने और दान करने से अन्य दिनों में किए गए स्नान दान से कई गुणा अधिक पुण्य लाभ मिलता है। ज्योतिषिय गणना के अनुसार कुंभ के दौरान महोदय योग इससे पहले 9 फरवरी 1948 के कुंभ के दौरान बना था।

तब लगता है प्रयाग में कुंभ
ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि वैदिक कैलेंडर के माघ महीने में जिस साल अमावस्या तिथि पर गुरु वृश्चिक राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, उस साल प्रयागराज में अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है।

कुंभ में इस समय दान का विशेष महत्व
4 फरवरी मौनी अमावस्या पर पूरे दिन ही दान-पुण्य और पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है लेकिन सूर्योदय के बाद और सुबह 7 बजकर 58 मिनट तक किए गए दान का विशेष फल प्राप्त होगा। ध्यान रहे कि दान कार्य स्नानादि से निवृत्त होकर और पूजा-पाठ के बाद ही किया जाना चाहिए। इस विशेष दिन सूर्य को अर्घ्य देना न भूलें।

संस्कृति को करीब से जानने का अवसर
कुंभ केवल कर्मकांडों को उत्सव नहीं है और न ही केवल साधुओं का उत्सव। यह तो जनचेतना का पर्व है। जहां आप अपने ही देश के अलग-अलग हिस्सों की संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। कुंभ की इसी खूबी के कारण देशभर से श्रद्धालु ही नहीं बल्कि विदेशों से सैलानी भी कुंभ में आते हैं।