आचार्य समयसागर जी महाराज होंगे विद्यासागर जी महाराज के उत्तराधिकारी
भोपाल। जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि लेने के बाद उनके संघ के नए आचार्य समयसागर जी महाराज होंगे। अब संघ के सभी कार्यों का संचालन आचार्य समयसागर जी के निर्देशों पर ही होगा। बता दें कि खराब सेहत के कारण 6 फरवरी को ही विद्यासागर जी ने समयसागर जी को उत्तराधिकारी बनाकर खुद आचार्य पद का त्याग कर दिया था।
कुंडलपुर में 9 अप्रैल को होगी अगवानी
मुनि समय सागर की 9 अप्रैल को कुंडलपुर में अगवानी होने जा रही है। अभी मुनिश्री बांकदपुर में विराजमान है। इस दौरान गुरू शिष्य मिलन का अद्भुत प्रसंग देखने मिलेगा। ऐसे में कुंडलपुर पहुंच चुके सभी निर्यापकों, मुनियों और आर्यिकाओं द्वारा अपने ज्येष्ठ मुनि समय सागर की भव्य अगवानी की जाएगी।
देश भर से हजारों लोगों का कुंडलपुर पहुंचना शुरू
इस दृश्य को देखने और इसके साक्षी बनने के लिए देश भर से हजारों लोगों का कुंडलपुर पहुंचना शुरू हो गया हैं। 9 अप्रैल को यहां 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इसी हिसाब से व्यवस्थाएं भी बनाई जा रही हैं।
महामुनिराज की अगवानी एक नए इतिहास के सृजन का परिचायक होगी
मिली जानकारी के अनुसार 9 अप्रैल को होने वाली महामुनिराज की अगवानी एक नए इतिहास के सृजन का परिचायक होगी। इसका साक्षी बनने के लिए प्रत्येक शहर, नगर, गांव से हजारों भक्त कुंडलपुर अगवानी के लिए पहुंच रहे हैं। दमोह, सागर, जबलपुर, कटनी, सतना और अन्य शहरों से 200 से अधिक बसों से श्रद्धालु पहुंचेंगे। जबकि देश भर से 20 हजार से अधिक लोग भी यहां पहुंच रहे हैं।
विद्यासागर जी महाराज के पहले शिष्य भी हैं समय सागर जी महाराज
विद्यासागर जी महाराज के पहले शिष्य हैं समय सागर जी महाराज। उनका जन्म कर्नाटक के बेलगांव में 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। बता दें कि समय सागर जी महाराज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के भाई भी हैं। समय सागर जी महाराज ने केवल 17 साल की उम्र में ही जैन धर्म की दीक्षा ले ली थी।
छह भाई बहनों में समय सागर जी महाराज सबसे छोटे
बताया जाता है कि बचपन से ही इनकी रुचिधर्म और कर्म में ही रही। बचपन में माता पिता ने इनका नाम शांतिनाथ जैन रखा था। जैन धर्म की दीक्षा लेने पर इनका नाम श्री समय सागर जी महाराज हो गया। छह भाई बहनों में समय सागर जी महाराज सबसे छोटे रहे।
2 मई 1975 को दतिया में ली ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था
समय सागर जी महाराज ने 2 मई 1975 को ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। इसी साल उन्होंने दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश के दतिया सोनागिरी क्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा ले ली। क्षुल्लक यानी छोटी दीक्षा। ये जैन समाज में संतों की श्रेणी में पहली है। उन्होंने ऐलक दीक्षा 31 अक्टूबर 1978 को ली।
छतरपुर जिले के सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरी में मुनि दीक्षा ग्रहण की
क्षुल्लक दीक्षा के 5 साल बाद समयसागर जी ने 8 मार्च 1980 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरी में मुनि दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा गुरु उनके गृहस्थ जीवन के बड़े भाई आचार्य विद्यासागर ही थे। समयसागर जी ही विद्यासागर जी के पहले शिष्य बने। यहीं से उनका मुनि जीवन शुरू हुआ और तपस्या के कठोर नियमों को उन्होंने अपने जीवन में अपना लिया।