अहमदाबाद ब्लास्ट: भारत के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 को फांसी

अहमदाबाद ब्लास्ट: भारत के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 को फांसी

14 साल बाद मिला इंसाफ: 49 गुनाहगारों को सजा  

78 में से 29 बरी और एक सरकारी गवाह बना

78 आरोपियों के खिलाफ केस की हुई थी शुरुआत

1100 गवाहों का परीक्षण किया सुनवाई के दौरान 

19 दिनों में पुलिस ने 30 आतंकियों को जेल भेजा था

मास्टरमाइंड नागौरी बोला-संविधान नहीं, कुरान का मानेंगे फैसला

अहमदाबाद। दिन शुक्रवार, सुबह 11.30 बजे... वो वक्त जब अदालत ने 14 साल तक आतंक से मिले जख्मों का दर्द सहने वाले अहमदाबाद को इंसाफ दिया। अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट में 56 लोगों की जान गई थी। विशेष अदालत ने धमाकों के 49 गुनहगारों को सजा दी। 38 के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है। 11 ताउम्र कैद में रहेंगे। फैसला ऐतिहासिक है, क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 गुनाहगारों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले केवल राजीव गांधी हत्याकांड ही था, जिसमें एक साथ 26 लोगों को सजा सुनाई गई थी। आठ फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी करार दिया था। इनमें से एक दोषी अयाज सैयद को जांच में मदद करने के लिए बरी किया जा चुका है। 29 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो चुके हैं। फैसले के वक्त कोर्ट ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की मदद देने का भी आदेश दिया। सरकारी वकीलों में एचएम ध्रुव, सुधीर ब्रह्मभट्ट, अमित पटेल और मितेश अमीन, जबकि बचाव पक्ष से एमएम शेख और खालिद शेख आदि शामिल रहे।

70 मिनट में हुए थे 21 धमाके
26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और 80 आरोपियों पर मुकदमा चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 एफआईआर दर्ज की थीं, जबकि सूरत में 15 अन्य एफआईआर दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से जिंदा बम भी बरामद किए गए थे।

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नहीं फट पाए थे 29 बम
ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके में और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके में मिले थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।

गोधरा कांड का बदला था ब्लास्ट
ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े लोगों ने किए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसके जरिए कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन ने धमाकों की चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना है कि आईएम के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए थे। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासीन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।

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अभी भी 8 की तलाश  
इस मामले में सूरत में 15 और अहमदाबाद में 20 शिकायतें दर्ज की गई थीं। देश के अलग-अलग शहरों से कुल 78 लोगों को अरेस्ट किया गया था। ब्लास्ट में शामिल आठ अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है। सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड यासीन भटकल दिल्ली की जेल में, जबकि अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर कोचीन की जेल में बंद है।

गुजरात के इन दुश्मनों का फांसी
जाहिद शेख अहमदाबाद, इमरान इब्राहिम वड़ोदरा, इकबाल कासम वड़ोदरा, शमसुद्दीन शोख अहमदाबाद, म्यासुद्दीन अंसाली अहमदाबाद, मोहम्मद कागजी अहमदाबाद, मोहम्मद उस्मान वड़ोदरा, युनुस मंसूरी अहमदाबाद, कमरूद्दीन चांद मोहम्मद नागौरी उज्जैन, आमिल परवाज उज्जैन, सीबली अहमद करीम केरल, सफदर नागौरी उज्जैन, हाफिज हुसैन कर्नाटक, मोहम्मद साजिद भरूच, मुफ्ती अबु बसर शेख उत्तर प्रदेश, अब्बास समेजा भुज, जावेद शेख अहमदाबाद, मोहम्मद इस्माइल अहमदाबाद, अफजर उस्मानी मुंबई, मोहम्मद आरिफ मुंबई, आसिफ शेख पुणे, मोहम्मद आरिफ उत्तर प्रदेश, कयामुद्दीन कापडिया वड़ोदरा, जीशान अहमद उत्तर प्रदेश, जियाउर रहमान उत्तर प्रदेश, मोहम्मद शकील लुहार उत्तर प्रदेश, मुहम्मद अकबर पुणे, फजले रहमान पुणे, अहमद बावा बरेलवी कर्नाटक, सरफुद्दीन सलीम हैदराबाद, सैफुर रहमान उत्तर प्रदेश, सादुली अ. करीम केरल, मोहम्मद तनवीर उत्तर प्रदेश, आमिन शेख मध्यप्रदेश और मोहम्मद मोबिन मध्यप्रदेश शामिल हैं।

भोपाल जेल में फांसी चढऩे वाले छह आतंकी
अहमदाबाद बम ब्लास्ट-2008 मामले में 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से सीमी के छह आतंकी भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद हैं। इनमें ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी भी शामिल है। फांसी की सजा की खबर मिलने के बाद भी नागौरी नॉर्मल दिख रहा है। उसने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा कि संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता। हम कुरान का फैसला मानते हैं। भोपाल जेल में बंद आतंकियों में सफदर नागौरी, शिवली, शादुली, आमिल परवेज, कमरुद्दीन नागौरी, हाफिज और अंसाब (उम्रकैद) शामिल है। सफदर नागौरी उज्जैन के महिदपुर गांव का रहने वाला है।