5 राज्यों में विधानसभा चुनाव:  आचार संहिता के दौरान 1760 करोड़ की शराब, ड्रग्स, कैश और महंगी धातु बरामद 

5 राज्यों में विधानसभा चुनाव:  आचार संहिता के दौरान 1760 करोड़ की शराब, ड्रग्स, कैश और महंगी धातु बरामद 

नई दिल्ली। मप्र, छग और मिजोरम में मतदान संपन्न होने के बाद अब राजनीतिक पार्टियों का पूरा फोकस राजस्थान और तेलंगाना पर है। इन पांचों राज्यों में आचार संहिता के दौरान मतदाताओं को लुभाने का भरपूर प्रयास किया गया है। चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि चुनाव वाले पांच राज्यों से 1760 करोड़ की शराब, ड्रग्स, कैश और महंगी धातु बरामद की गईं। ये सब चीजें वोटरों को रिझाने के लिए बांटी गई थीं।

पिछली बार 239.15 करोड़ की चीजें जब्त की गई थीं। 

गौरतलब है कि 9 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। इसी दिन से आचार संहिता लगने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाकर  शराब, ड्रग्स, कैश और महंगी धातु की बरामदगी हो रही थी।  चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि 1760 करोड़ का आंकड़ा  इन राज्यों में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान हुई बरामदगी का 7 गुना है। पिछली बार 239.15 करोड़ की चीजें जब्त की गई थीं। अभी मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हैं। मप्र, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में वोटिंग हो चुकी है। राजस्थान में 25 तो तेलंगाना में 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।

नजर रखने के लिए 228 एक्सपेंडीचर ऑब्जर्वर्स तैनात 

चुनाव आयोग ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम से न तो कैश और न ही कोई कीमती धातु जब्त हुई, लेकिन 29.82 करोड़ की ड्रग्स बरामद हुई। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनावी खर्च पर नजर रखने के लिए 228 एक्सपेंडीचर ऑब्जर्वर्स तैनात किए थे। साथ ही 194 विधानसभा सीटों को चुनावी खर्च के लिहाज से संवेदनशील बताया था। चुनाव आयोग के मुताबिक, इससे पहले जिन 6 राज्यों (गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक) में चुनाव हुए थे, जहां से 1400 करोड़ की चीजें बरामद की गई थीं। यह इन राज्यों में पिछले चुनाव के दौरान हुई बरामदगी का 11 गुना था।

प्रलोभन मुक्त चुनाव पर जोर 

इलेक्शन कमीशन ने कहा कि जब पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो रहा था, तब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए प्रलोभन मुक्त चुनाव पर जोर दिया था। इस बार चुनाव आयोग इलेक्शन एक्सपेंडीचर मॉनीटरिंग सिस्टम भी लेकर आया था। इसे केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों के साथ मिलकर लागू किया गया था।

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