धरना पर कर्मचारी, स्वास्थ्य केन्द्र में सेवाएं प्रभावित...
धरना पर कर्मचारी, स्वास्थ्य केन्द्र में सेवाएं प्रभावित
प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में कर्मचारियो की कमी, जनता परेशान
मंडला - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर सातवें दिन भी बेमियादी हडताल पर जमे रहे। जिले में करीब 700 संविदा कर्मी अनिश्चितकालीन हडताल पर 15 दिसंबर को चले गये है। संविदा कर्मियो की हडताल से जिले के स्वास्थ्य विभाग में कर्मियो की कमी हो गई है। इससे सेवाओ पर असर पड रहा है लेकिन अब तक सरकार द्वारा मांग पूरी नहीं किये जाने से संविदा कर्मियो ने हडताल जारी रखी है। कलेक्टेªट मार्ग धरना स्थल पर रोजाना बडी संख्या में संविदा कर्मी पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो में सेवाएं लडखडाई -
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी की हडताल से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो में सेवाएं लडखडा गई है। जिससे मरीजो व उनके परिजनो को यहां वहां भटकना पड रहा है। पूरे प्रदेश की तरह जिले में भी सेवाएं ना मिलने के मामले सामने आ रहे है। घुघरी ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य नैझर, बिछिया ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मोचा में संविदा कर्मी नहीं होने से एक-दो नियमित कर्मचारी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियो के भरोसे संचालन किया जा रहा है।
उप स्वास्थ्य केन्द्रो में पड गया ताला -
सात सैकडा कर्मचारियो के हडताल पर चले जाने से जिले में सबसे ज्यादा उप स्वास्थ्य केन्द्र प्रभावित हो गये है। संविदा सीएचओ और एएनएम होने से उप स्वास्थ्य केन्द्रो पर ताला पड गया है। जिससे टीकाकरण और आवश्यक सेवाएं ग्रामीणो को नहीं मिल पा रही है। उन्हें यहां वहां भटकना पड रहा है। बिछिया के उप स्वास्थ्य केन्द्र सीतारपटन और ककैया में ताला पडा हुआ है। यहां के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर हडताल पर है।
हमें अपना अधिकार चाहिए -
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा के कर्मियो का कहना है कि वर्षो से सरकार द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। मांग पूरी नहीं की जा रही है जिससे अब पूरे प्रदेश में एक साथ आंदोलन शुरू किया गया है। अन्य राज्यो में नियमित भी किया जा चुका है लेकिन प्रदेश में उपेक्षा की जा रही है। जिससे संविदा कर्मियो में नाराजगी है। अब संविदाकर्मी अपना हक लेकर रहेंगे। 2018 की नीति को अब तक लागू नहीं किया गया है लेकिन अब संविदा कर्मी नियमितीकरण व निष्कासित की वापसी की मांग पूरी होने से पहले काम पर वापस नहीं आएंगे।