प्रदेश के विकास में उद्यानिकी का भी महत्वपूर्ण योगदान: नारायण सिंह कुशवाह
भोपाल, देश और प्रदेश की उन्नति सर्वोपरि है। इसके लिए किसानों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त करना आवश्यक है, जिससे किसान संपन्न हो सकें और देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा सकें। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि किसी भी देश या प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विकास की गति किसानों के उत्थान से ही संभव हो सकती है। इसके लिए प्रदेश के विकास में उद्यानिकी भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। इसके लिये नवाचार और तकनीकी सुधार किये जा रहे है। देश के 10% क्षेत्रफल वाले राज्य मध्यप्रदेश में देश की लगभग 7% आबादी निवास करती है। यहां 11 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जाता है। राज्य की कृषि उपज में विविधता मुख्यतः नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में वर्तमान सरकार परिणाम देने वाली नीतियों के माध्यम से उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के नए अध्याय लिख रही है।
मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, उद्यानिकी फसलें किसानों की आय को आसानी से दोगुना करने में सहायक होती हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खाद्य प्र-संस्करण की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को उद्यानिकी फसलों की खेती और खाद्य प्र-संस्करण के नए तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। वर्तमान में मध्यप्रदेश उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में देश में अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रदेश संतरा, धनिया मसाले तथा औषधीय एवं सुगंधीय पौधे उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। इसके अतिरिक्त प्रदेश टमाटर, लहसुन, हरी मटर, अमरूद ,फूल गोभी, मिर्च एवं प्याज उत्पादन में दूसरे तथा नीबू वर्गीय फल, लाल मिर्च, बंद गोभी एवं फूल उत्पादन में तीसरे स्थान पर है ।
राज्य में उद्यानिकी का रकबा बढ़कर लगभग 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। राज्य सरकार की नीतियों से प्रदेश में उद्यानिकी के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। इस कारण रकबा 2019-20 में 21.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2023-24 में 26.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। लगभग 23.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्पादन भी लगभग 27 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2019-20 में जो उत्पादन 317.36 लाख मी. टन था, जो बढ़कर अब 404.24 लाख मी. टन हो गया है।
किसानों को उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग द्वारा फूड प्रोसेसिंग इकाईयाँ स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। सरकार से अनुदान लेकर किसान फूड प्रोसेसिंग इकाईयाँ स्थापित कर सकते हैं। साथ ही अनुदान के आधार पर किसान छोटे, मध्यम और बड़े कोल्ड स्टोर भी स्थापित कर सकते हैं। खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अपने समृद्ध कृषि संसाधन और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का उपयोग कर, 8.3% की औसत /वार्षिक दर से बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. उद्यानिकी उत्पादों के सुरक्षित भंडारण के लिए 21530.26 लाख रुपए की अनुदान सहायता से 183 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कर 8.05 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता विकसित की गई है। वहीं प्याज भंडारण के लिए 23667.71 लाख रुपए का अनुदान देकर 66500 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता किसानों के खेतों पर निर्मित की गई है।
प्रदेश में बागवानी को शिखर पर ले जाने के प्रयासों में राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना (पी.एम.एफ.एम.सी.) पर ड्रॉप मोर क्रॉप (पी.पी.एम.सी), एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.) एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आर.के.वी.वाय.) के तहत वर्ष 2024-25 में 528 करोड़ 91 लाख रुपए की कार्ययोजना मंजूर की गई है। राज्य में उद्यानिकी उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए 16 विभिन्न बागवानी उत्पादों को जी.आई. टैग के लिए पंजीयन कराया गया है।
सूक्ष्म सिंचाई द्वारा राज्य में 14 हजार 900 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर लगाए गए हैं, जिसमें लगभग 12 हजार 790 हितग्राहियों को 114 करोड़ 76 लाख रुपए का अनुदान दिया गया है। इजराइल तकनीक के समन्वय से प्रदेश में मुरैना में उच्च गुणवत्ता वाली सब्जी के लिए, छिंदवाड़ा में नींबूवर्गीय फसलों के लिए तथा हरदा में निर्यात करने लायक आम एवं सब्जी सेन्टर की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए 14 करोड़ 74 लाख की योजना का अनुमोदन किया गया है।
प्रदेश सरकार की नई पहल ई-नर्सरी पोर्टल से घर, गार्डन या खेतों में उत्तम गुणवत्ता के पौधे लगाने के लिये, अच्छे और स्वस्थ पौध के लिये अब नर्सरी के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है। उद्यानिकी विभाग द्वारा ई-नर्सरी पोर्टल पर 300 से अधिक नर्सरियों की जानकारी ऑनलाईन उपलब्ध करवाई गई है। इससे पौधों का क्रय-विक्रय आसानी से किया जा सकता है।
24 बागवानी उत्पाद जिनकी खेती आमतौर पर राज्य भर में की जाती है, जिनमें कोदो-कुटकी, बाजरा, संतरा/नींबू, सीताफल, आम, टमाटर, अमरूद, केला, पान, आलू, प्याज, हरी मटर, मिर्च, लहसुन अदरक, धनिया, सरसों, गन्ना, आंवला और हल्दी शामिल हैं। छिंदवाड़ा, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, मंदसौर, बैतूल और सीहोर जैसे जिले संतरे के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं जो संतरे के प्र-संस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए आदर्श हैं। इसी तरह बैतूल, कटनी, अनूपपुर, रीवा, सिंगरौली और रायसेन जिले जो आम की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं, वहां कई आम आधारित खाद्य प्र-संस्करण उद्योग हैं जो स्थापित होने के विभिन्न चरणों में हैं।
मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग को उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार एवं प्रशंसा-पत्र भी प्राप्त हुए हैं। जुलाई 2024 को प्रगति मैदान नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एग्री एवं हार्टी एक्सपो-2024 में उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग मध्यप्रदेश को सर्वोत्तम बागवानी पद्धतियों और सब्जियों एवं ताजे फलों को बढ़ावा देने के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। एमपीएफएसटीएस पोर्टल के संचालन के लिए वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर स्कॉच पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय कृषि तथा उद्यानिकी एक्सपो-2023 में 'एक्सीलेंस अवॉर्ड, नेशनल ओडीओपी अवॉर्ड सेरेमनी-2023 में प्रदेश के बुरहानपुर जिले को केला उत्पादन तथा प्र-संस्करण में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। वहीं वर्ष 2022-23 में 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत बेहतर क्रियान्वयन के लिए उद्यानिकी विभाग को स्कॉच अवार्ड प्राप्त हुआ।
प्रदेश में फसल क्षेत्र का विस्तार और उत्पादन में सुधार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पौधों और उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। उत्पादन के पहले और बाद में प्रबंधन तकनीकों के जरिए फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बेहतर बनाना, फसल के उचित मूल्य के लिए खाद्य प्र-संस्करण और विपणन के साधनों में सुधार, अत्याधुनिक कृषि तकनीकों के जरिए संरक्षित खेती को बढ़ावा देना, किसानों को तकनीकी और वित्तीय समर्थन एवं कृषि और संबंधित क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए समन्वय करना आदि चहुँमुखी प्रयासों से उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषकों को अधिकतम लाभ पहुँचाने और आमदनी दोगुनी करने का कम कर रही है।