देवउठनी एकादशी पर गन्ने की पूजा का महत्व, जानिए पूजा की विधि
भोपाल, हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने को दोनों पक्षों की ग्यारहवी तिथि को एकादशी मनाई जाती है। इस तरह से एक माह में दो और पूरे साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। एकादशी के दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह का दिन होता है। इस दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह में गन्ने का मंडप बनाया जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी दिन से किसान गन्ने की नई फसल की कटाई का काम शुरू करते हैं।
एकादशी कई मायनों में खास होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद योग निद्रा से जागते हैं, इसलिए इस दिन अगर श्री हरि की पूजा के साथ कुछ उपाय किए जाएं तो धन-धान्य की कमी नहीं रहती हैं।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवउठनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह बाद योग निद्रा से जागे थे इसलिए उनकी इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कुछ क्षेत्रों में गन्ने की पूजा भी की जाती है।
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व
एकादशी के दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह का दिन होता है। इस दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह में गन्ने का मंडप बनाया जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी दिन से किसान गन्ने की नई फसल की कटाई का काम शुरू करते हैं।
देवउठनी एकादशी और पारण का समय
देवउठनी एकादशी तिथि 22 नवंबर 2023 दिन बुधवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरु हो जाएगी और 23 नवंबर 2023 दिन बृहस्पतिवार को रात 09 बजकर 01 बजे तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण एकादशी का व्रत 27 नवंबर को रखा जाएगा। द्वादशी यानी 24 तारीख को व्रत पारण का समय सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर 08 बजकर 57 मिनट तक यानी करीब दो घंटे का रहेगा।
इस दिन गुड़ का सेवन करने से घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है
इस दिन से किसान नई फसल की कटाई का काम शुरू करते हैं। मौसम के बदलने के साथ ही लोग गुड़ का सेवन करने को बहुत लाभकारी मानते हैं। दरअसल गुड़ गन्ने के रस से बनाया जाता है इसलिए इस दिन गन्ने की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। गन्ने को मीठे का स्रोत माना जाता है। मान्यता है इस दिन गुड़ का सेवन करने से घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
तुलसी के पास चावल और आटे से रंगोली यानी चौक
एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति अपने घर में तुलसी के पास चावल और आटे से रंगोली यानी चौक बनाते हैं। इसके बाद गन्ने का खास मंडप तैयार किया जाता है। मां तुलसी और भगवान विष्णु की शालिग्राम की पूजा की जाती है। इस दिन दीप जलाए जाते हैं। पूजा में 11 दीपक जलाने का विशेष महत्व है।
शुभ कार्य हो जाते हैं प्रारंभ
आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी से लेकर चतुर्मास माह तक देवता शयन में रहते हैं। उसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'देव उठनी एकादशी' कहा जाता है और इस दिन से भगवान विष्णु शयन निद्रा से वापस आ जाते हैं और तभी से शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन इत्यादि कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं।
तुलसी में अर्पित करें गन्न का रस
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह को साफ-सफाई करके स्नान आदि करें और साफ पीले वस्त्र धारण करें। विधि विधान से तुलसी देवी की पूजा करें और कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर तुलसी के पौधे की जड़ में अर्पित करें साथ ही पांच देसी घी के दीपक भी प्रज्वलित करें। मान्यता है कि इस उपाय को श्रद्धा के साथ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में रुपये-पैसों की तंगी नहीं रहती है, साथ ही पहले से चल रही आर्थिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।
गन्ना के रस से करें अभिषेक, बढ़ेगा सौभाग्य
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को नमन करें और गन्ना के रस से उनका अभिषेक करने के साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि इससे विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से घर के सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है व बिगड़े काम भी बन जाते हैं।
पैसों की तंगी हो जाएगी दूर
देवउठनी एकादशी के दिन प्रदोष काल यानी संध्या के समय किसी शिव मंदिर में जाकर गन्ना के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद यह उपाय शुक्रवार के दिन भी दोहराएं। माना जाता है कि इससे धन संबंधित समस्याएं, शत्रु पक्ष से होने वाली दिक्कतें और नौकरी में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।