जरायम की दुनिया में यूपी के वो बाहुबली, जिनपर मामले तो ढेर, लेकिन नहीं हुई कोई सजा

जरायम की दुनिया में यूपी के वो बाहुबली, जिनपर मामले तो ढेर, लेकिन नहीं हुई कोई सजा

लखनउ, माफिया अतीक अहमद को कल सजा सुनाई जा सकती है, यह किसी भी मामले में अतीक अहमद की पहली सजा होगी, जबकि उसके ऊपर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। अतीक के अलावा ऐसे कई बाहुबली हैं, जिन पर कई मुकदमें दर्ज हैं, लेकिन किसी मामले में सजा नहीं हुई।

जरायम की दुनिया का जिक्र जब-जब होगा, तब तब यूपी के उन बाहुबलियोंका नाम भी आएगा जो कभी अपराध की दुनिया के ‘शहंशाह’ कहलाए जाते थे। खौफ ऐसा था कि इनके गिरेबां पर हाथ डालने की बजाय पुलिस के हाथ उठते भी थे तो इन्हें सलाम करने के लिए। माफिया राज ऐसा था कि ये अपराध करते जाते थे, लेकिन मुकदमे ही दर्ज नहीं हो पाते थे। मुकदमा हो भी जाएं तो कोई ऐसा गवाह ही नहीं होता था जो इन्हें सजा तक पहुंचा पाए। इसका कारण इनकी रॉबिनहुड छवि भी था। जिसने इन्हें राजनीति में आश्रय दिलाया और राजनीतिक दलों का संरक्षण भी।

अतीक अहमद भी जरायम की दुनिया के ऐसे ही बाहुबलियों की फेहरिस्त में शामिल है। अतीक को कल सजा सुनाई जा सकती है, यह किसी भी मामले में अतीक अहमद की पहली सजा होगी, जबकि उसके ऊपर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। अतीक के अलावा बाहुबली विजय मिश्रा, पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह और हरिशंकर तिवारी समेत कई ऐसे बाहुबली हैं जिन पर मामले तो दर्ज होते गए, लेकिन सजा तक नहीं पहुंच पाए। जानिए कहानी इन्हीं बाहुबलियों की।

1- अतीक अहमद
साबरमती की जेल में बंद अतीक अहमद को प्रयागराज लाया जा रहा है। कल अतीक को स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में सजा सुनाई जाएगी। राजू पाल हत्याकांड के मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 17 मार्च को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। राजू की हत्या 2005 में हुई थी। उस समय राजू बसपा से विधायक थे। पिछले दिनों जिन उमेश पाल की हत्या के आरोप अतीक अहमद पर लग रहे हैं वह उमेश पाल राजू पाल की हत्या में ही गवाह थे।

अतीक ऐसा बाहुबली रहा है जिसने जरायम की दुनिया में हाथ गंदे करने के बाद राजनीति में कदम रखा और यहां भी अपने बाहुबल के दम पर दहशत फैलाता रहा। 1984 से अब तक उस पर 100 से अधिक हत्या, रंगदारी, अपहरण और फिरौती जैसे मामले दर्ज हुए, लेकिन किसी भी मामले में वह सजा तक नहीं पहुंचा। यह पहला मामला है जिसमें अतीक को कल सजा सुनाई जाएगी।

2- विजय मिश्रा
बाहुबलियों की इस फेहरिस्त में दूसरे नंबर पर पूर्व विधायक विजय मिश्रा है, वह भदोही की ज्ञानपुर सीट से 4 बार लगातार विधायक रहे विजय मिश्रा 2022 में तीसरे नंबर पर रहे थे। जरायम की दुनिया में तीन दशक तक विजय मिश्रा का बोलबाला रहा है। उन पर 75 से अधिक मामले दर्ज हैं। 2010 में बसपा सरकार के तत्कालीन मंत्री नंद गोपाल नदी पर हुए हमले में भी विजय मिश्रा का नाम आया था। जरायम की दुनिया में विजय मिश्रा के सफर की बात करें तो इसकी शुरुआत हुई थी 80 के दशक में। तब भदोही नया ही जिला बना था। 90 के दशक में विजय ब्लाक प्रमुख बने। इसी बीच अपराध की दुनिया में उनका नाम आने लगा।

2002 में वह सपा के टिकट पर विधायक अपने और अपने दबदबे से आसपास की सीटें भी जितवाईं। 2009 में उपचुनाव में उस समय विजय मिश्रा सुर्खियों में आए था। ऐसा कहा जाता है कि जिस वक्त पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची, उस समय वह पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के साथ हेलीकॉप्टर में बैठकर चले गए थे। बाद में विजय मिश्रा पर ढाई लाख का ईनाम घोषित हुआ और दिल्ली से गिरफ्तार भी हुए। तब तक विजय पर 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे। वह लगातार विधायक रहे और 2017 में भी निषाद पार्टी से चुनाव जीता। हालांकि तब तक उनके बुरे दिन शुरू हो चुके थे। योगी सरकार में विजय मिश्रा की कई संपत्तियां कुर्क हुईं, बुल्डोजर चला। हालांकि सजा एक भी मामले में नहीं मिल सकी।

3- हरिशंकर तिवारी
यूपी में माफिया राज की शुरुआत 80 के दशक से ही मानी जाती है, यही वो दौर था जब पूर्वांचल में बाहुबलियों के दबदबे का आगाज हुआ था। पूर्व विधायक हरिशंकर तिवारी भी इस फेहरिस्त का हिस्सा हैं। 1980 के दशक में हरिशंकर तिवारी पर 26 से अधिक मामले दर्ज थे। इनमें हत्या करवाना, किडनैपिंग, रंगदारी, वसूली जैसे आरोप थे। 1985 में वे गोरखपुर की चिल्लूपार से राजनीति के मैदान में उतरे थे। हरिशंकर तिवारी का दबदबा ऐसा था कि पूर्वांचल में जो भी ठेका उठता था उनमें उनका सीधा दखल होता था। हरिशंकर तिवारी कई सरकारों में मंत्री रहे। हरिशंकर तिवारी पर लगातार मामले दर्ज होते रहे, लेकिन कभी कोई आरोप साबित नहीं हुआ। तमाम मामले दर्ज होने के बावजूद हरिशंकर तिवारी की छवि रॉबिनहुड की रही और वह लगातार चुनाव जीतते रहे।

4- धनंजय सिंह
धनंजय सिंह पर 10 कक्षा में ही हत्या का आरोप लग गया था। धनंजय ने जौनपुर के ही टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति में प्रवेश किया था। उन पर डकैती, लूट, रंगदारी और हत्या के तमाम मामले दर्ज हैं। मऊ जिले में एक ब्लॉक प्रमुख की हत्या के मामले में भी धनंजय का नाम सामने आया था, धनंजय जेल तो कई बार गए, लेकिन सजा किसी मामले में नहीं मिल सकी। दसवीं में उन पर एक पूर्व शिक्षक को मारने के आरोप लगे थे। 1998 तक धनंजय पर इतने मामले दर्ज हो चुके थे कि वह 50 हजार के ईनामी थे। एक दिन पुलिस ने ऐलान कर दिया कि धनंजय एनकाउंटर में मारा गया, लेकिन जौनपुर के बाहुबली के मुठभेड़ में मारे जाने का ये दावा खोखला निकला।

जब धनंजय एक केस के सिलसिले में पुलिस के सामने आया। आखिरकार इस मामले में पुलिस उल्टा फंसी और 34 पुलिसकर्मियों पर मानवाधिकार आयोग के तहत मामला दर्ज हुआ। 2002 में धनंजय पहली बार निर्दलीय विधायक बने, 2007 में जेडीयू के टिकट पर जौनपुर से जीते। 2009 में बसपा से जीतकर लोकसभा में पहुंचे। 2012 में धनंजय और उनकी पत्नी पर अपनी नौकरानी की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद धनंजय सिंह कभी नहीं जीते। वह साल 2020 के उपचुनाव में पूर्व मंत्री पारसनाथ यादव के पुत्र के खिलाफ खड़े हुए थे लेकिन हार गए थे। तीन दिन पहले ही धनंजय सिंह को जेडीयू ने राष्ट्रीय महासचिव बनाया है।

5- ब्रजेश सिंह
पूर्व एमएलसी ब्रजेश सिंह वाराणसी के धौरहरा गांव के रहने वाले थे, ऐसा कहा जाता है कि वह जरायम की दुनिया में अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए उतरे थे, उनके पिता की हत्या का जिस पर आरोप था उसे भरी कचहरी में एके 47 से भून दिया गया था। मामले में छह से ज्यादा हत्याएं हुई थीं। ब्रजेश सिंह गिरफ्तार हुआ, लेकिन अस्पताल से फरार हो गया। बाद में त्रिभुवन सिंह के साथ गैंग बनाई त्रिभुवन के भाई की हत्या के बाद से ब्रजेश की मुख्तार से दुश्मनी शुरू हुई।

ऐसा कहा जाता है कि माफिया ब्रजेश का कद इतना बढ़ गया था कि छोटा राजन तक से संपर्क के आरोप लगे थे। पूर्वांचल में उसकी बादशाहत कायम होती उससे पहले ही मुख्तार रोड़ा बन गए। इससे निपटने के लिए 2001 में मुख्तार के काफिले पर बड़ा हमला हुआ, इसका आरोप ब्रजेश सिंह पर लगा। ये हमला AK-47 से हुआ था। हमले के बाद ब्रजेश अंडरग्राउंड हो गए। 2008 में ब्रजेश को उड़ीसा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया जहां वह नाम बदलकर रह रहा था। 2012 में ब्रजेश सिंह ने जेल से ही विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिर हार गए। मगर 2016 में शाहजहांपुर जेल में रहते हुए वाराणसी से विधान परिषद का चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। वर्तमान में वाराणसी से उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय एमएलसी हैं। ब्रजेश पर मकोका, टाडा, गैंगस्टर, हत्या, दंगा भड़काने समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें...

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट