मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में स्थापित कर रहा है नये कीर्तिमान
पूर्व मंत्री एवं विधायक विश्नोई का वक्तव्य
भोपाल, पूर्व मंत्री एवं विधायक अजय विश्नोई ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में, मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निरंतर नए पायदानों को छू रहा है। मध्यप्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। वर्ष 2030 तक प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत राष्ट्र के लिये निर्धारित 500 गीगावॉट के लक्ष्य को पाने के लिये राज्य पूर्ण रूप से तत्पर है। नवकरणीय ऊर्जा आज केवल पर्यावरण संरक्षण का विषय नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और रोजगार सृजन का सशक्त माध्यम बन चुकी है। मध्यप्रदेश ने इस क्षेत्र में बीते वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं।
प्रदेश में वर्ष 2012 में कुल विद्युत उत्पादन क्षमता में नवकरणीय ऊर्जा का योगदान मात्र 5 प्रतिशत था। सतत और नियोजित प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2025 तक यह बढ़कर लगभग 28 से 30 प्रतिशत हो गया है। पिछले 12 वर्षों में प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में लगभग 21 गुना वृद्धि हुई है। 2012 में जहाँ यह क्षमता 438 मेगावॉट थी, वहीं वर्ष 2025 तक यह बढ़कर लगभग 9,508 मेगावॉट के स्तर तक पहुँच चुकी है। इसमें सौर ऊर्जा से लगभग 5,781 मेगावॉट, पवन ऊर्जा से लगभग 3,448 मेगावॉट, बायोमास से 155 मेगावॉट और लघुजल विद्युत से 124 मेगावॉट का योगदान शामिल है।
विगत 2 वर्षों में प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ते हुए उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। नवंबर 2023 से नवंबर 2025 के बीच प्रदेश की कुल नवकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में लगभग 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अवधि में सौर ऊर्जा सबसे तेज़ी से उभरने वाला क्षेत्र रहा, जहाँ क्षमता 3,169 मेगावॉट से बढ़कर 5,781 मेगावॉट हो गई, इसमें लगभग 82 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई। पवन ऊर्जा में 21 प्रतिशत और बायोमास तथा स्मॉल हाइड्रो में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।
नवीन नीतियों ने तैयार किया निवेश अनुकूल माहौल
प्रदेश सरकार द्वारा नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए 3 नवीन नीतियां लागू की गई। इनमें मध्यप्रदेश नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा नीति - 2025, मध्यप्रदेश पंप हाइड्रो परियोजना क्रियान्वयन योजना - 2025 और मध्यप्रदेश बायोमास परियोजना क्रियान्वयन योजना 2025 शामिल हैं। निवेश-अनुकूल और दूरदर्शी नीतियों ने एक मजबूत आधार प्रदान किया है। इन नीतियों के माध्यम से निवेशकों को स्पष्ट नीति ढांचा, सरल प्रक्रियाएँ और दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान की गई है, जिससे प्रदेश में निजी निवेश, परियोजना विकास और रोजगार सृजन को नई गति मिली है।
निवेश अनुकूल नीतियों को लागू करने से प्रदेश ने जीआईएस-2025 में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की। मध्यप्रदेश सरकार ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु सरल नीतियाँ, पूंजीगत सब्सिडी, कर-छूट, भूमि आबंटन में सुगमता तथा पम्प स्टोरेज एवं बायो-फ्यूल परियोजनाओं हेतु विशेष प्रोत्साहन प्रदान किए हैं। इसी का परिणाम है कि 24-25 फरवरी 2025 को भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2025 प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही। इस समिट में 299 निवेशकों द्वारा लगभग 5.72 लाख करोड़ रूपये के 'इन्टेन्ट-टू-इन्वेस्ट' प्राप्त हुए, जिनसे लगभग 1.85 लाख नए रोजगार सृजित होने की संभावना है। विशेष रूप से नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 31 निवेशकों द्वारा लगभग 2.65 लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावित किए गए हैं, जिनके लिए संबंधित कंपनियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इनमें से लगभग 1.78 लाख करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर प्रदेश में विभिन्न स्तरों पर कार्य प्रारंभ हो चुका है। पंप स्टोरेज नीति के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 8,450 मेगावॉट की परियोजनाएँ पंजीकृत हो चुकी हैं तथा 7,200 मेगावॉट की परियोजनाएँ पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं। इन परियोजनाओं से प्रदेश में लगभग 78,153 करोड़ रूपये का निवेश आकर्षित होने की संभावना है, जो ऊर्जा भंडारण, ग्रिड स्थिरता और रोजगार सृजन-तीनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रीवा से ओंकारेश्वर तक मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक परियोजनाएँ
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 750 मेगावॉट की रीवा सौर परियोजना ने भारत के सौर ऊर्जा इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। यह देश की पहली ऐसी परियोजना थी, जहाँ सौर ऊर्जा की दर कोयला आधारित बिजली से कम रही। यह परियोजना दिल्ली मेट्रो को बिजली आपूर्ति करने वाली पहली अंतर-राज्यीय नवकरणीय परियोजना बनी।
विगत 2 वर्षों में मध्यप्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कई और महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इनमें आगर-शाजापुर-नीमच (ASN) सोलर पार्क परियोजनाओं के अंतर्गत लगभग 1,330 मेगावॉट क्षमता का सफलतापूर्वक विकास शामिल है। इन परियोजनाओं ने 4,500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है और अपने पूरे परियोजना अवधि में लगभग 2,400 करोड़ रूपये से अधिक की अनुमानित बचत उत्पन्न करने की संभावना है। इन सोलर पार्कों से उत्पादित विद्युत का उपयोग मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों के साथ-साथ भारतीय रेलवे द्वारा भी किया जा रहा है, जिससे परियोजना राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बन गई है। इन परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 650 नए रोजगार अवसर सृजित हुए हैं और 60 मिलियन टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई गई है, जो पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 20 दिसम्बर 2024 को आगर में आगर सोलर पार्क की 2 यूनिट (550 मेगावॉट) और नीमच सोलर पार्क की 2 यूनिट (330 मेगावॉट) का लोकार्पण किया। नीमच जिले में 170 मेगावॉट क्षमता की सोलर परियोजना निर्माणाधीन है, जिसमें नीमच सोलर पार्क से 2.15 रूपये प्रति यूनिट का ऐतिहासिक न्यूनतम टैरिफ दर प्राप्त हुई है। यह परियोजना फरवरी 2026 तक कार्यशील हो जाएगी और प्रदेश के नवकरणीय ऊर्जा लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
प्रदेश में स्थापित 278 मेगावॉट की ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना देश की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना है। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 25 दिसम्बर 2024 को खजुराहो में किया गया।
ऊर्जा भंडारण - भविष्य की आवश्यकताओं पर कार्य
रीवा, आगर-नीमच और ओंकारेश्वर जैसी परियोजनाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि मध्यप्रदेश कम लागत पर, बड़े पैमाने पर, वैश्विक मानकों की सौर परियोजनाएँ विकसित कर सकता है। ऊर्जा उत्पादन के साथ ही प्रदेश में इसके भंडारण आधारित परियोजनाओं पर भी कार्य किया गया। मुरैना में सोलर-प्लस-स्टोरेज परियोजना के अंतर्गत 2.70 रूपये प्रति यूनिट का ऐतिहासिक टैरिफ प्राप्त हुआ है, जो देश में पहली बार 'फर्म एण्ड डिस्पेचेबल' नवकरणीय ऊर्जा के लिए 3 रूपये से कम है। यह परियोजना पीक ऑवर्स में भी 95 प्रतिशत सुनिश्चित आपूर्ति प्रदान करेगी।
किसान को अन्नदाता से ऊर्जादाता बनाने की अभिनव पहल
प्रदेश में किसानों को भी ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम 'अ' एवं कुसुम 'स' के माध्यम से हम अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का कार्य भी पूर्ण तत्परता से किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के घटक 'अ' के माध्यम से किसान अब ऊर्जा उत्पादक भी बन रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत विकेंद्रीकृत सौर परियोजनाओं से विद्युत प्रति यूनिट 3.25 रूपये की दर पर प्राप्त हो रही है। अब तक कुल 1,712 मेगावॉट के एलओए जारी किए जा चुके हैं और 997 मेगावॉट के पीपीए निष्पादित किए जा चुके हैं। इस घटक के अंतर्गत 35 परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 55 मेगावॉट है, सफलतापूर्वक कमीशन की जा चुकी हैं।
मध्यप्रदेश में किसानों और नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास अब देश स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रहे हैं। कुसुम 'अ' योजना ने देश में तृतीय स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश में एग्रीवोल्टिक सोलर प्लांटों की स्थापना भी की गई है, जहाँ विद्युत उत्पादन के साथ-साथ कृषि उत्पादन भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना, जो प्रधानमंत्री कुसुम 'ब' के अंतर्गत संचालित की जा रही है, के माध्यम से प्रदेश के किसानों को सिंचाई हेतु स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराई जा रही है। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 तक प्रदेश में 21 हजार 129 सोलर पंप किसानों के खेतों में स्थापित किए जा चुके हैं। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में लगभग 25 हजार एलओए जारी किए गए हैं। 31 दिसंबर 2025 तक पूरे 52 हजार सोलर पम्प के आदेश जारी करने का लक्ष्य रखा गया है। सोलर पंपों की स्थापना से किसानों की सिंचाई लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
प्रधानमंत्री कुसुम 'स' योजना में 1200 मेगावॉट के केंद्रीय अनुदान समतुल्य क्षमता स्थापना हेतु जारी निविदा के सापेक्ष 16 हजार मेगावॉट से अधिक क्षमता के लिए 500 से अधिक विकासकों/किसानों की निविदायें प्राप्त हुयी हैं। निविदा में इन परियोजनाओं के लिए काफी प्रतिस्पर्धात्मक टैरिफ प्राप्त हुए हैं।
76 हजार से अधिक घरों पर रूफटॉप सोलर संयंत्र
प्रदेश में प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना में 76 हजार से अधिक घरों पर कुल 292 मेगावॉट सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए हैं। योजना में अधिकाधिक संयंत्रों की स्थापना के लिए सतत प्रयास जारी हैं। साथ ही साथ "एक जिला-एक रेस्को" नवाचार द्वारा प्रदेश के 47 जिलों के लिए विकासकों का चयन किया जा चुका है और परियोजनाओं का क्रियान्वयन तीव्र गति से आगे बढ़ाया जा रहा है। कॉलोनियों एवं हाउसिंग सोसाइटियों में भी रेस्को मोड पर सोलर रूफटॉप परियोजनाओं पर कार्य जारी है।
हरित कार्यालय की तरफ एक कदम
प्रदेश ने अपनी नवकरणीय ऊर्जा नीति में 2027 तक शासकीय कार्यालयों को सौ-प्रतिशत हरित करने का लक्ष्य रखा है। इस और कदम बढ़ा दिए गए हैं। शासकीय भवनों पर रेस्को मॉडल से सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए जा रहे हैं। सभी 55 जिलों में निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और 3.52 रूपये से 4.01 रूपये प्रति यूनिट के प्रतिस्पर्धी टैरिफ प्राप्त हुए हैं। 15 जिलों में एलओए भी जारी कर दिए गए हैं।
भविष्य की योजनाएँ
भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश सोलर प्लस-स्टोरेज आधारित परियोजनाओं के विकास की दिशा में निरंतर एवं योजनाबद्ध रूप से आगे बढ़ रहा है। ऊर्जा भंडारण की बढ़ती अनिवार्यता को समझते हुए,प्रदेश सरकार ऐसे नवाचारी मॉडल पर आधारित परियोजनाओं को विकसित कर रही है, जिनके माध्यम से दिन एवं रात्रि दोनों समय-नवकरणीय ऊर्जा की विश्वसनीयता, सतत और सुनिश्चित आपूर्ति संभव हो सके।
धार जिले में लगभग 200 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा के साथ ऊर्जा भंडारण आधारित परियोजना स्थापित की जाएगी। इस परियोजना के अंतर्गत दिन के समय प्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई जाएगी तथा इसी ऊर्जा को संचित कर गैर-सौर अवधि में 6 घंटे अथवा उससे अधिक समय तक निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
बड़वानी जिले में एक और महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी पहल के रूप में 24 घंटे सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने वाली परियोजना विकसित की जा रही है। इस परियोजना के माध्यम से पूरे 24 घंटे 100 मेगावॉट नवकरणीय ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति की जाएगी, जिसमें दिन के समय सौर ऊर्जा का रीयल टाइम उपयोग किया जाएगा तथा शेष समय के लिए ऊर्जा को संचित कर निरंतर 100 मेगावॉट बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
आगामी वर्षों में अस्थायी एवं असंयोजित कृषि पम्पों को प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना के तहत चरणबद्ध रूप से सौर ऊर्जीकृत किया जायेगा। इससे किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन में विद्युत प्रदाय होगी जिससे उनके जीवनचर्या में सुधार होगा।

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