भांग और धतूरा चढ़ाने से ही खुश हो जाते है भोलेनाथ, जाने इससे जुड़ा कारण

भांग और धतूरा चढ़ाने से ही खुश हो जाते है भोलेनाथ, जाने इससे जुड़ा कारण

भगवान श‌िव को भोलेनाथ कहा जाता है, माना जाता है कि भगवान शिव इतने भोले हैं कि उन्‍हें धतूरा और भांग जैसी जहरीली और नशीली चीजें चढ़ाकर मनाया जाता है। भगवान शिव तो भक्‍तों के द्वारा चढ़ाया गया एक लोटा जल से भी खुश हो जाते है। यही कारण है क‌ि श‌िवभक्त महाश‌िवरात्र‌ि के पर्व पर धतूरा और भागं से श‌िवल‌िंग की पूजा जरूर करते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानते है भगवान शिव से धतूरा और भांग का आध्‍यात्मिक संबंध।

शिव पुराण के अनुसार
श‌िव महापुराण में भगवान श‌िव को नीलकंठ कहा गया है क्योंक‌ि सागर मंथन के समय भगवान भोलेनाथ ने सागर मंथन से उत्पन्न हालाहल व‌िष को पीकर सृष्ट‌ि को तबाह होने से बचाया था। लेक‌िन व‌िष पान से भगवान श‌िव का गला नीला पड़ गया क्योंक‌ि इन्होंने व‌िष को अपने गले से नीचे नहीं उतरने द‌िया था। जिस वजह से विष श‌िव के मस्त‌िष्क पर चढ गया और भोलेनाथ अचेत हो गए। ऐसी स्‍थ‌ित‌ि में देवताओं के सामने भगवान श‌िव को होश में लाना एक बड़ी चुनौती बन गई। देवी भाग्वत् पुराण में बताया गया है क‌ि इस स्‍थ‌ित‌ि में आद‌ि शक्त‌ि प्रकट हुई और भगवान श‌िव का उपचार करने के ल‌िए जड़ी बूट‌ियों और जल से श‌िव जी का उपचार करने के ल‌िए कहा। भगवान श‌िव के स‌िर से हालाहल की गर्मी को दूर करने के ल‌िए देवताओं ने भगवान श‌िव के स‌िर पर धतूरा, भांग रखा और न‌िरंतर जलाभ‌िषेक क‌िया। इससे श‌िव जी के स‌िर से व‌िष का दूर हो गया। तभी से आज तक भगवान श‌िव को धतूरा, भांग और जल चढ़ाया जाने लगा।

आयुर्वेद में भांग, धतूरा और जल का महत्‍व
आयुर्वेद में भांग और धतूरा का इस्तेमाल औषध‌ि के रूप में होता है। शास्‍त्रों में तो बेल के तीन पत्तों को ‌रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक माना गया है साथ ही यह ब्रह्मा, व‌िष्‍णु और महेश का प्रतीक माना गया है इसल‌िए भगवान श‌िव की पूजा में बेलपत्र का प्रयोग क‌िया जाता है।

विषपान से दिया ये संदेश
शिव ने विषपान कर ही जगत को परोपकार, उदारता और सहनशीलता का संदेश दिया। शिव पूजा में धतूरे जैसा जहरीला फल चढ़ाने के पीछे भी भाव यही है कि व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में कटु व्यवहार और वाणी से बचें। स्वार्थ की भावना न रखकर दूसरों के हित का भाव रखें। तभी अपने साथ दूसरों का जीवन सुखी हो सकता है।

ये भी है एक तर्क
किंवदंती के अनुसार, शिव का एक बार अपने परिवार के साथ किसी बात पर बहस हो गई और वो घर से न‍िकल गए। इसी दौरान वो एक भांग के खेत में भटक गए और वहीं सोकर रात गुजार दी। सुबह जागने पर, भूख लगने पर उन्होंने कुछ भांग का सेवन किया और खुद में पहले से ज्‍यादा चुस्‍ती और तरोताजा महसूस करने लगे, इसके बाद से ही भांग उनके पसंदीदा भोग में शामिल हो गया।

भांग से रहें दिमाग शांत
कुछ मान्यताओ के अनुसार कहा जाता है , भगवान को भांग इसलिए भी चढ़ाई जाती है क्योंकि भांग ठंडी होती है और शिवजी का गुस्सा बहुत तेज़ होता है इसलिए उनके गुस्से को ठंडा करने के लिए भांग का प्रयोग करते है।